PATNA : पहले महंगे और कीमती मोबाइल की चोरी करते हैं। फिर उसका आईएमईआई नंबर बदल देते हैं। इसके बाद नए आईएमईआई नंबर के साथ चोरी के मोबाइल को कम कीमत में स्मार्ट फोन की चाह रखने वालों के हाथों बेच देते हैं। चोरी के मोबाइल को खपाने में शातिरों का एक पूरा गैंग राजधानी के अलग-अलग इलाकों में काम कर रहा है। एक ऐसे ही गैंग के दो शातिरों को पत्रकार नगर थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जिसमें बलबीर चन्द्र और मोनू कुमार शामिल हैं। इन दोनों को पुलिस टीम ने अलग-अलग ठिकानों से पकड़ा। पहले मोनू को कंकड़बाग के साईं हॉस्पिटल के पास से उठाया। फिर इसकी निशानदेही पर कंकड़बाग ओवर ब्रिज के पास छापेमारी की गई। वहां से बलबीर को पुलिस ने अपने कब्जे में लिया।

- ठिकाने लगाने थे भ् मोबाइल फोन

खास बात ये है कि इन दोनों के पास से पुलिस टीम ने भ् कीमती मोबाइल फोन बरामद किए। सभी मोबाइल फोन चोरी के थे। जिनके आईएमईआई नंबर बदल दिए गए थे। एक जगह मिलने के बाद मोनू और बलबीर पटना सिटी या दूसरे जगह जाते, फिर वहां नए आईएमईआई नंबर के साथ चोरी के मोबाइल को ठिकाने लगा देते। अच्छे दामों में उसे बेचने का प्लान था।

- ऐसे बदलते हैं आईएमईआई नंबर

चोरी के मोबाइल में आईएमईआई नंबर बदलने के लिए शातिर लोग हैकर मशीन का उपयोग करते हैं। इस मशीन के जरिए किसी के भी मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर को हैक किया जा सकता है। फिर हैक किए गए नंबर को चोरी के मोबाइल फोन पर सॉफ्टवेयर के जरिए चढ़ा दिया जाता है।

- क्या है हैकर मशीन

सोर्स के अनुसार हैकर मशीन दिखने में बिल्कुल ही कंप्युटर के जैसा होता है। इसकी कीमत करीब तीन लाख रुपए है। आईएमईआई नंबर बदलने में माहिर कुछ शातिरों ने हैकर मशीन को खरीद रखा है। सोर्स के अनुसार बाकरगंज इलेक्ट्रिॉनिक्स मार्केट और हरि निवास कॉम्प्लेक्स में इस मशीन का यूज हो रहा था। लेकिन पुलिस के नजर से बचने के लिए लोगों ने अपना ठिकाना ही बदल दिया।

- डेड मोबाइल भी होती है मददगार

आईएमईआई नंबर बदलने में डेड मोबाइल फोन भी शातिरों के लिए काफी मददगार साबित होती है। दरअसल, राजधानी के अंदर कई ऐसे माहिर खिलाड़ी हैं, जो डेड मोबाइल फोन का आईएमईआई नंबर अपने पास रख लेते हैं। जैसे ही शातिर चोर चोरी का मोबाइल लेकर उनके पास पहुंचता है। सॉफ्टवेयर के जरिए डेड मोबाइल के आईएमईआई नंबर को चोरी के मोबाइल पर चढ़ा दिया जाता है।

- पुलिस नहीं कर पाती है ट्रैक

पिछले कुछ महीनों में मोबाइल चोरी और उसके लूट की कई वारदातें शहरी इलाके और रेलवे क्षेत्र में हुई हैं। लेकिन शातिरों के आगे पुलिस भी कुछ नहीं कर पाती। एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस चोरी या लूटे गए मोबाइल के आईएमईआई नंबर को ट्रैकिंग पर डालती है। ताकि मोबाइल के ट्रेस कर अपराधियों को गिरफ्तार किया जा सके। लेकिन अपराधी भी शातिर हो गए हैं। चोरी व लूट के बाद वो सबसे पहले मोबाइल को स्वीच ऑफ कर देते हैं। फिर आईएमईआई नंबर को बलवाने में लग जाते हैं। नंबर बदल जाने की वजह से पुलिस कुछ भी नहीं कर पाती है।

पकड़े गए शातिरों ने मोबाइल चोरी की दो दर्जन से भी अधिक वारदातों को अंजाम दिया है। गैंग में शामिल बाकि के अपराधियों की पहचान की जा रही है।

मनु महाराज, एसएसपी, पटना