पटना (ब्यूरो)। आंखों के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पर सरकार की नजरे इनायत की दरकार है। दरअसल, राजेंद्र नगर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में वर्ष 2011 से ही फेको मशीन खराब पड़ी है। दस साल से यह मशीन कमरे में बंद है और पड़े-पड़े मशीन और बेकार ही हो रही है। इलाज होता है, लेकिन पेशेंट को अधिक रिकवर होने में अधिक समय लग रहा है और दर्द भी होता है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन अब करीब सभी जगह फेको विधि या इससे भी एडवांस तरीके से किया जाता है। लेकिन राजधानी पटना में सुपर स्पेशियलिटी का दर्जा प्राप्त अस्पताल में ऐसा नहीं होने से पेशेंट को भी परेशानी होती है। हालांकि काफी पुराना अस्पताल होने के कारण यहां लोग आते रहे है। शायद यही वजह है कि इस समस्या के बाद भी हर दिन यहां ओपीडी में 200 से अधिक पेशेंट इलाज के लिए आते हैं।

एएमसी ही नहीं
राजेद्र नगर एक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है और इसकी स्थापना का उदेश्य ही यही था पूरे पटना और प्रदेश के लोगों के लिए भी यहंा पर हाईटेक इलाज की सुविधा मिले। हालांकि यहंा पर ऐसा नहीं हो सका। बीते कुछ वर्षों में हॉस्पिटल को एक नया लुक दिया गया है। बिल्डिंग काफी सुंदर बनाया गया है। बीएसएसआईसीएल ने इसके मार्डन लुक पर काफी पैसा बहाया, लेकिन दस साल से अधिक समय से फेको मशीन खरा है, उसे ठीक नहीं कराया गया है। लेकिन मशीन की कमी और पेशेंट की भारी भीड़ के बीच पेशेंट अपनी बारी का इंतजार करते रह जाते हैं। अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, मशीन का एएमसी ही नहीं था। इसलिए यह मेनटेनेंस के इंतजार में पड़ी है।

पीजी डॉक्टर का सहारा
कहने को यह सुपर स्पेशियलिटी है, लेकिन यहां पेशेंट का इलाज के लिए सीनियर डॉक्टरों का अभाव है। हालंाकि इस बात की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई है। हाल ही में राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से दो डॉक्टर उपलब्ध कराये गए हैं। अभी तीन डॉक्टर कार्यरत हैं और दो छुट्टी पर हैं। इसके अतिरिक्त समिति के दो डॉक्टर अपनी सेवा दे रहे हैं।

हर दिन 200 पेशेंट आ रहे
राजेंद्र नगर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हर दिन 200 पेशेंट आ रहे हैं जबकि यहां पर औसतन 25 से 30 पेशेंट का ऑपरेशन किया जाता है। कर्मचारियों का कहना है कि पहले और अधिक पेशेंट आते थे। यदि यहां पर सुविधा दुरूस्त हो तो पेशेंट की संख्या बढ़ सकती है। केवल पटना शहरी क्षेत्र ही नहीं, पूरे जिले के लिए यह सरकार का आई के लिए एकमात्र सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल है। अभी गार्ड, अटेंडेंट आदि की कमी है।

इमरजेंसी चालू नहीं
इस सुपर स्पेशियलिटी का हाल ऐसा है कि जेनरेटर की सुविधा भी हर वक्त नहीं मिल पाता है। कर्मचारी बताते हैं कि जेनरेटर में चलता है। लेकिन कभी जेनरेटर के तेल की कमी की वजह से अंधेरा कायम रहता है। काम भी बाधित हो जाता है। वैसे तो यहां ओपीडी के साथ ही पटना के अन्य दो सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की भांति यहंा भी इमरजेंसी चलनी चाहिए। लेकिन राजेंद्र नगर आई हॉस्पिटल मे अभी तक इमरजेंसी अस्पताल में चालू नहीं है क्योंकि डॉक्टरों और कर्मचारियों की भारी कमी है।

कई बार लिख चुका हूं पत्र
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस समस्या को लेकर डायरेक्टर डॉ। हरीश चंद्र ओझा से बातचीत की। उन्होंने बताया कि फेको मशीन खराब पड़ी है और इस मशीन के जल्द मरम्मत करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग को कई बार पत्र भी लिखा गया है। हालांकि अब तक विभाग की ओर से कोई प्रतिउत्तर नहीं आया है। जानकारी हो कि बिहार सरकार की अस्पतालों में दवाओं के साथ ही मशीन से जुड़े भी सभी मामले बीएमएसआईसीएल से जुड़े हुए है। इसलिए मशीन की एएमसी नहीं होने और इसकी मरम्मत की पूरी जिम्मेवारी भी इसी की है। पत्र लिखा जा चुका है। यह कब तक बन पाएगा यह तो वक्त ही बताएगा।


मेनटेनेंस वर्क चालू करने पर बैठक
गुरूवार को स्वास्थ्य विभाग के सचिव के सेंथिल कुमार ने राजेंद्र नगर सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल का विजिट किया। विजिट के दौरान डायरेक्टर डा। हरीश चंद्र ओझा ने यहां की मौजूदा समस्याओं से अवगत कराया। इसी दौरान मेनटेनेंस वर्क को फिर से चालू करने पर बातचीत की। बैठक में डॉक्टरों की टीम भी उपस्थित रही।