PATNA: जूनियर इंजीनियरों की बहाली में धांधली का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य सरकार ने पिछले साल ख्भ् सितंबर को हुई नियुक्ति को अनियमितता के आधार पर रद कर दिया है। इस बात की जानकारी राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दायर कर पटना हाईकोर्ट को दी गई। अदालत ने क्क्7क् सफल उम्मीदवारों को भी झटका दिया है। सफल उम्मीदवारों की ओर से कहा गया था कि उन्हें इससे अलग रखा जाए। लेकिन अदालत ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार महीने में नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया।

ब्ख् फीसद अनियमितताएं थी

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह ने अनुभव राज व कुछ अन्य की तरफ से दायर याचिकाओं की सुनवाई पूरी करने के बाद उक्त निर्देश दिया। वरीय अधिवक्ता विनोद कुमार कंठ ने सफल उम्मीदवारों का पक्ष रखते हुए कहा कि यदि गड़बड़ी अधिकारियों एवं कुछ लोगों द्वारा की गई तो उसकी सजा सफल उम्मीदवारों को नहीं दी चाहिए। जबकि अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि ख्0क्ख् में आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई ने अपनी जांच में ब्ख् फीसद अनियमितताएं स्वीकारी थीं। उन्हीं अभ्यर्थियों को नये विज्ञापन में लाया गया था। उन्होने अदालत को बताया कि पहली बार बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने परीक्षा ली थी। उसमें बड़े पैमाने पर धांधली की शिकायत हाईकोर्ट से की गई थी। परिणामस्वरूप पहले हुई परीक्षा रद हो गई।

चार बार हुई परीक्षा भी अवैध

दूसरी बार जो परीक्षा हुई उसमें आरा के मौलाबाग के एसबी कॉलेज में पहली पाली की परीक्षा में दूसरी पाली की उत्तर पुस्तिका बांट दी गई। इसके अलावा अनेक प्रकार की धांधलियों की शिकायत मिलने के बाद भी परीक्षा रद नहीं की जा रही थी। इस प्रकार से चार बाद हुई परीक्षा भी अवैध करार कर दी गई।

ख्0क्क् में निकाली गई वैकेंसी में बीएसएससी ने कई बार परीक्षा ली, जिसे हमलोंगों ने कोर्ट में मामला उठाया। ख्0क्ख् में भी ओएमआर के साथ टैंपरिंग की गई थी। न्याय के लिए लगातार संघर्ष करते रहेंगे।

- अनुभव राज, याचिकाकत्र्ता