पटना ब्‍यूरो। आशियाना नगर फेज 2 में बने नर्मदेश्वर महादेव मन्दिर की प्राण-प्रतिष्ठा काशी के पुरोहितों के द्वारा संपन्न करायी गयी। रविवार को सुबह प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। काशी विश्वनाथ मन्दिर के पुरोहित शास्त्री पं मोहन कुमार दूबे समेत कुल सात पुरोहितों ने सभी देव-देवी प्रतिमाओं का पूजन कराया। फिर स्नपन विधि संपन्न हुई। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शास्त्रीय विधि-विधान से शिवलिंग समेत सभी स्थापित देव प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा करायी गयी। अंत में हवन यानी पूर्णाहूति के साथ तीन दिवसीय मन्दिर स्थापन अनुष्ठान संपन्न हुआ। शाम को मन्दिर के निकट बने विशाल पंडाल में भंडारे का आयोजन किया गया। मन्दिर निर्माण समिति के अध्यक्ष शिवशंकर आचार्या और आशियाना नगर फेज 2 सोसाइटी के अध्यक्ष अरूण कुमार सिंह ने बताया कि दस हजार लोगों ने इस भंडारे में भोजन प्रसाद ग्रहण किया। मुख्य पुरोहित पं मोहन कुमार दूबे ने बताया कि मन्दिर के मुख्य देवता महादेव हैं। उनका नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित किया गया है। भक्तों की मनोकामना पूर्ण करनेवाले महादेव का यह मन्दिर श्री नर्मदेश्वर मनोकामना शिव मन्दिर के नाम से जाना-पूजा जाएगा। मन्दिर में काले पत्थर के नर्मदेश्वर शिवलिंग के साथ, सफेद मकराना मार्बल की एक ही चट्टान से तराश कर बनाए गये मां पार्वती, गणेश भगवान, कार्तिकेय भगवान, नन्दी जी, दुर्गा माता और हनुमानजी की प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं।

सभी देव-प्रतिमाओं का नगर भ्रमण

शनिवार को गाजे-बाजे के साथ सभी प्रतिमाओं का नगर भ्रमण कराया गया। एक छोटे रथ पर सभी देव प्रतिमाओं को रखा गया था। उसके पीछे सैकड़ों की संख्या में स्थानीय निवासियों ने लगभग दो किलोमीटर की परिधि में आसपास के प्रक्षेत्र का परिभ्रमण किया। काशी विश्वनाथ मन्दिर के पुरोहित शास्त्री मोहन कुमार दूबे ने बताया कि देवी-देवताओं के परिभ्रमण से आसपास के प्रक्षेत्र पर भगवान् का आशीर्वाद और विशेष कृपा प्राप्त होती है। शनिवार को दिन में सभी देव प्रतिमाओं का पूजन, अन्नाधिवास, पुष्पाधिवास, फलाधिवास, जलाधिवास, द्रव्याधिवास और वस्त्र इत्यादि से अधिवास कराया गया। शुक्रवार को गंगा तट से कलश यात्रा के साथ तीन दिवसीय मन्दिर स्थापन यज्ञ प्रारंभ हुआ था। इस दिन संध्या काल में राधे जी महाराज और उनकी मंडली द्वारा संगीतमय हनुमत् कथा सह भजन संध्या का आयोजन किया गया।

तीन शिखरों वाला मन्दिर, 31 फीट ऊंचा मुख्य शिखर

पटना के आशियाना नगर फेज 2 स्थित श्री नर्मदेश्वर मनोकामना शिव मन्दिर को 61 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है। तीन शिखरों वाला यह आकर्षक मन्दिर सातवीं सदी के नागर शैली में बना है। 31 फीट ऊंचा मुख्य शिखर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के शिखर की तर्ज पर बना है। शिवशंकर आचार्या ने बताया कि सभी शास्त्रीय और वास्तु पहलुओं पर विचार कर मन्दिर का निर्माण कराया गया है। नर्मदेश्वर मन्दिर की खासियत यह है कि यह पूर्ण वर्गाकार है। मन्दिर की लंबाई 26 फीट और चौड़ाई भी 26 फीट है। जबकि इसका गर्भगृह 11 फीट लंबा और इतना ही चौड़ा है। महाराष्ट्र से आए शिल्पकारों ने पूरे करीने से मन्दिर के मुख्य शिखर समेत तीनों शिखरों को बनाया है। श्री नर्मदेश्वर मनोकामना शिव मन्दिर के तीनों शिखरों के ऊपर आमलक, उसके ऊपर कलश और सबसे ऊपरी छोर पर त्रिशूल लगा है। त्रिशूल महादेव का प्रतीक है। मुख्य शिखर पर चारों तरफ नागर शैली में आकर्षित डिजाइन उकेरा गया है। अयोध्या का श्रीराम मन्दिर भी नागर शैली में बना है। शिवशंकर आचार्या ने बताया कि मन्दिर निर्माण में स्थानीय लोगों ने तन-मन-धन से सहयोग किया। अरूण कुमार सिंह ने बताया कि काॅलोनी सोसाइटी की जमीन पर इस भव्य मन्दिर का निर्माण हुआ है। मन्दिर के चारों ओर चाहरदीवारी बनायी गयी है।

गर्भगृह में एसी और परिसर में वाटर कूलर

मन्दिर के गर्भगृह में देवी-देवताओं की गर्मी से राहत दिलाने के लिए एसी लगाया गया है। जबकि मन्दिर परिसर में आगन्तुक भक्तों की प्यास बुझाने के लिए वाटर कूलर लगाया गया है। लायंस क्लब ऑफ पाटलिपुत्र के सौजन्य से यह वाटर कूलर लगा है। मन्दिर के शिखरों को रंगीन रौशनी से आकर्षक तरीके से सजाया गया है। मन्दिर के गर्भगृह में शिव परिवार और गर्भगृह के दोनों ओर सुन्दर मंडपों में एक ओर दुर्गा माता, दूसरी ओर हनुमानजी की आकर्षक प्रतिमाएँ स्थापित की गयी हैं। मन्दिर के भीतर भी आकर्षक लाइटिंग की गयी है। मन्दिर की सुन्दरता और आकर्षण के कारण बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आ रहे हैं।

सात पुरोहित और सात जजमान दंपत्ति

नवनिर्मित मन्दिर का तीन दिवसीय स्थापन अनुष्ठान सात पुरोहितों के मार्गदर्शन में सात जजमान दंपत्ति ने संपन्न किया। काशी विश्वनाथ मन्दिर के पुरोहित शास्त्री पंडित मोहन दूबे के अलावा पं गणेश शास्त्री, पं सुधाकर पांडेय, पं गौतम पांडेय, पं मनीष तिवारी, पं निखिल दूबे और पं शंभू त्रिवेदी ने संपूर्ण कर्मकांड कराया। जबकि जजमान की भूमिका में पंकज कुमार, अनिल कुमार, शशांक शेखर, अरूण कुमार सिंह, राजीव कुमार, अमर जी और शारदानंद मिश्र सपत्नी अनुष्ठान में भाग लिए। इनके अतिरिक्त मन्दिर निर्माण से लेकर संपूर्ण आयोजन में वीरेन्द्र पाठक, परमानंद पाठक, डाॅ एल बी सिंह, प्रो प्रेमलता, कंचन कुमार, मनोज कुमार, तिर्पित झा समेत अन्य लोगों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।