पटना (ब्यूरो)। आज हम बात करेंगे पटना शहर के बीचोबीच मौजूद बाकरगंज नाले की। करीब दो लाख की आबादी के बीच से होकर यह नाला उत्तर से दक्षिण पीरमुहानी से अंटा घाट, गांधी मैदान तक है। वार्ड 37 में शामिल इस नाले पर भी सड़क बनाई जानी थी लेकिन इस नाला पर भी सड़क बनाने की बात अभी कागजों पर ही है। यह कब से बनना प्रारंभ होगा, इस पर कोई भी जिम्मेदार कुछ भी नहीं बता रहे। हालांकि करीब तीन माह पहले ही यह उच्च स्तरीय बैठक में तय किया गया था कि इस नाले पर सड़क बनाई जाएगी। पटना शहर का हथुआ मार्केट समेत सभी नाले के पास बसा है। हद तो यह है कि गांधी बदलते समय के साथ गांधी मैदान और आस-पास का पूरा इलाका का मेकओवर हो गया है, लेकिन नाले की हालत बद से बदतर हो गई है। पेश है रिपोर्ट।

तीन नालों में शामिल
करीब तीन माह पहले ही यह तय किया गया था कि बाकरगंज समेत सर्पेंटाइन नाला और आनंदपुरी नाला पर सड़क बनाने के लिए बुडको को जिम्मेदारी दी गई थी। इसमें से आनंदपुरी नाला और बाकरगंज नाला सघन आबादी के बीच से गुजरने वाला नाला है। बाकरगंज नाले के पास ही दलदली मार्केट में भी इस नाले की बदबू का असर महसूस किया जाता है।

कपड़े से ढकना पड़ा
बाकरगंज नाला से इतनी दुर्गंध आती है कि स्थानीय लोगों ने बांध -बल्ली के सहारे इस नाले को ढंक दिया है। इस नाला के समांतर जो सड़क मोना सिनेमा की ओर तक गई है, उसकी स्थिति भी दयनीय है। सड़क इस कदर टूटा है कि अक्सर बाइक चालक गिर जाते है। वहीं, बड़ी गाडिय़ां भी प्रवेश नहीं कर पाती है।

जानकारी के अनुसार, संबंधित इंजीनियरों के द्वारा इस नाला का विजिट किया गया है लेकिन समस्या यह है कि नाला निर्माण का कुछ हिस्सा संकरा होता गया है। बताया जाता है कि अतिक्रमण की वजह से यह स्थिति है। इसलिए संबंधित डीपीआर को व्यवहारिक तौर पर उतारने में परेशानी हो सकती है। दूसरी समस्या, एक लंबे समय से सघन आबादी का यहां बसाव है।

क्या कहते हैं स्थानीय
बाकरगंज नाला के आस-पास रहने वालो लोगों का कहना है कि वे लंबे अर्से से रह रहे है। उन्हे यह बताया गया था कि तय योजना के अनुसार, स्लम का विकास किया जाएगा। लेकिन न तो स्लम का विकास किया गया और न ही नाले पर सड़क ही बनी है। स्थानीय निवासी सुनील राम ने बताया कि यहां आए दिन बच्चे और बड़े भी गिर जाते हैं। यहां पर मौलिक सुविधाओं का घोर अभाव है। हमलोग मुख्यमंत्री से भी मांग करते हैं कि यहां की मौजूदा व्यवस्था में सुधार किया जाए। वहीं, दीपक का कहना है कि यहां पर कम से कम नाले के दोनों हिस्सों पर एक वाल बना दिया जाए ताकि नाला का आस-पास का हिस्सा सुरक्षित रहे और वह नाले में गाद आदि न बने।

पब्लिक फीडबैक में बताया गया है कि
जानकारी हो कि पटना स्मार्ट सिटी की रैंकिंग को लेकर पब्लिक फीडबैक में बेहतर अंक पाने में अब तक विफल रहा है। इसका एक बड़ा कारण स्थानीय लोगों का खराब फीडबैक है। इसमें लोगों ने पहले ही इस बात का जिक्र किया है कि स्थानीय खुले नालों की वजह से एक बड़ी आबादी परेशान है। लेकिन इसके जीर्णोद्धार के लिए कभी भी समुचित प्रयास जमीन पर नहीं किया गया है।

बाकरगंज नाला के बारे में
फैलाव- गांधी मैदान से लेकर पीरमुहानी तक
(करीब 8.64 एकड़)
निगम के शामिल वार्ड - वार्ड 37
लंबाई- 1430 मीटर
सड़क निर्माण की अनुमानित राशि 21.30 करोड़