PATNA: बसंती ख्क् साल की हो चुकी है। उसके जीवन में केवल ब् साल और समय बचा हुआ है। वह मरने से पहले मां बनना चाहती है, लेकिन उसका यह सपना अब पूरा नहीं हो पाएगा। क्योंकि संजय गांधी जैविक उद्यान में अभी तक भालू के प्रजनन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। जी हां, बसंती एक मादा भालू है। वह जन्म से ही जैविक उद्यान में रह रही है। उसके साथ भ् मादा और फ् नर भालू रहते हैं। लेकिन, अभी तक जू में भालूओं के प्रजनन के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यही कारण है पिछले ख्क् साल से जू में किसी भी भालू ने जन्म नहीं लिया।

क्99भ् के बाद भालू ने नहीं लिया जन्म

संजय गांधी जैविक उद्यान में भालू के बाड़े को देखने वाले कर्मचारी ने बताया कि क्99भ् में भालू का जन्म हुआ था, लेकिन ख्ब् घंटे बाद ही भालू का देहांत हो गया। उसके बाद से आज तक यहां किसी भालू ने जन्म नहीं लिया। कुनबे को बढ़ाने के लिए बाहर से ही भालू लाया जाता है।

क्8 साल का हो गया गब्बर

आमतौर पर भालू की औसतन उम्र ख्भ् वर्ष होती है। उस लिहाज से जू के 9 भालू उम्र में काफी अधिक हो चुके हैं। जहां बसंती ख्क् साल की हो चुकी है वहीं गब्बर भी क्8 साल पूरे कर चुका है। रामू और श्यामू नाम के दो भालू है, उनकी भी उम्र भी क्भ् साल से अधिक होने वाली है। एक्सपर्ट की माने तो भालू के प्रजनन के लिए क्ख् से क्भ् साल की उम्र सबसे बेहतर होती है। ऐसे में सभी भालू के उम्रदराज होने के कारण जू में भालू का जन्म होना मुश्किल है।

नहीं है अनुकूल वातावरण

संजय गांधी जैविक उद्यान के एक जानकार ने बताया कि भालू के प्रजनन के लिए एक अनुकूल वातावरण होता है। उसे शोर शराबा अधिक पसंद नहीं होता। वह शांतिपूर्ण माहौल में रहना चाहता है। इसके अलावा उसे जंगल जैसा फैली हुई जगह पसंद होती है। लेकिन जू में उसे जिस बाड़े में रखा गया है वह प्रजनन के लिए अनुकूल नहीं है। यही कारण है कि यहां भालू का कभी जन्म नहीं हो पाया।

हम लोग भालू के प्रजनन के लिए चिंतित है। जमुई से भालू को मंगाया गया है । जल्द प्रजनन होगा।

-नंदकिशोर डायरेक्टर संजय गांधी जैविक उद्यान पटना