- कहीं पटना में स्लीपर सेल तो एक्टिव नहीं हो गए

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PATNA : पटना की गलियों में मदद मांगते कश्मीरी आपको दिखाई दे तो सावधान हो जाइए। क्योंकि यह बिना प्रशासनिक अनुमति के शहर में घूम रहे हैं। ऐसे में इनका क्या मकसद है, यह बता पाना बहुत मुश्किल है। गुरुपर्व को लेकर खुफिया एजेंसियों ने पहले ही अलर्ट जारी कर रखा है। खुफिया एजेंसियों का दावा है कि गुरुपर्व आतंकियों के निशाने पर है। ऐसे में अचानक से क्000 कश्मीरी परिवार का पटना आकर ठहरना और फिर गलियों में घूम-घूम कर मदद के लिए रुपए मांगना पहली नजर में ही संदिग्ध है।

पहचान पत्र भी संदिग्ध

जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने उमेर शाह से पहचान पत्र मांगा तो उसने एक आई कार्ड और आधार कार्ड दिखाया। आधार कार्ड जम्मू कश्मीर का बना है और उस पर नाम पता सब कुछ दर्ज है। आई नेक्स्ट ने जब आधार नंबर को यूआईडीएआई की वेबसाइट से चेक किया तो पता चला कि उस नंबर का आधार कार्ड है लेकिन वह किसके नाम से है ये जानकारी नहीं दी गई है। उम्र भी क्0 से ख्0 वर्ष के बीच दर्ज है जबकि उमेर की उम्र ख्0 से अधिक है। इस पर मोबाइल नंबर भी अपडेट नहीं है।

रिलीफ कमेटी का दिखाया पर्चा

बातचीत के बीच उमेर ने जम्मू एंड कश्मीर स्टूडेंट रिलीफ कमेटी बारामूला बॉर्डर एरिया का एक और कागज दिखाया। जिसमें पाकिस्तान बॉर्डर की समस्या का उल्लेख करते हुए पटना में मदद मांगने की बात की गई है। इसमें कैंप एड्रेस में गायघाट हाथी बगान का दिया गया है। इस पेपर में प्रतिदिन का खर्च लिखा गया है जिसमें ख्00 किलो चावल, भ्0 किलो दाल, भ्0 किलो चीनी, फ् टीन तेल, क्0 किलो चाय की पत्ती का उल्लेख है। जिसकी पूर्ति के लिए ही यह कश्मीरी मदद मांग रहे थे।

कैंप तक पहुंच गई आई नेक्स्ट टीम

कश्मीरी ने अपने अस्थाई निवास का जो पता बताया था आई नेक्स्ट टीम पड़ताल के लिए वहां पहुंची। लेकिन वहां भी मामला संदिग्ध ही लगा। टेंट में रह रही महिलाओं से मुलाकात हुई, महिलाएं बातचीत में कोई साफ जवाब देने के बजाए पुरुषों से बात करने की बात कहकर टालते रहीं। वह न तो नाम बताई और न ही फोटो दी। उनका कहना है कि कश्मीर में लगातार क‌र्फ्यू और बंदी के कारण परेशान है। आर्थिक तंगी के कारण वह मदद के लिए पटना आए हैं।

कहीं स्लीपर सेल तो नहीं ?

कोई भी बाहरी व्यक्ति आकर रहता है तो इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को होनी चाहिए, लेकिन पाक बॉर्डर से आकर एक हजार कश्मीरी आलमगंज में रह रहे हैं और उनकी जांच-पड़ताल नहीं हुई है। ऐसे ही लोग स्लीपर सेल के रूप में भी काम करते हैं जो सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।

मदद की बात सुनते ही भागने लगे

राजीव नगर से एक रीडर ने फोन पर बताया कि कुछ संदिग्ध कश्मीरी यहां घूम रहे हैं। लोगों से घर-घर जाकर मदद के लिए पैसे मांग रहे हैं। आई नेक्स्ट टीम तुरंत मौके पर पहुंची। वहां उमेर शाह नाम का व्यक्ति अपने तीन साथियों के साथ मिला। जब उनसे प्रशासनिक मदद दिलाने की बात कही गई तो सभी भागने लगे। बातचीत में साफ जाहिर हो रहा था कि मदद के नाम मुखौटा पहनकर कुछ और ही तैयारी चल रही है। पेश है उनके बातचीत के कुछ अंश-

रिपोर्टर - आप कहां से आए हैं और यहां क्यों घूम रहे हैं?

उमेर शाह - हम कश्मीर के बारामूला से आए हैं और यहां लोगों से मदद मांग रहे हैं।

रिपोर्टर - किस लिए मदद?

उमेर - बारामूला में आतंकी गतिविधियों के कारण हमारे घर उजड़ गए। खाने के लिए भी कुछ नहीं है। इसलिए पटना आए है। लोगों से खाने के लिए पैसे मांग रहे हैं।

रिपोर्टर - एक साथ कितने लोग आए हैं?

उमेर - तकरीबन क्000 परिवार हैं। हम पटना के आलमगंज एरिया में अस्थाई रूप से रह रहे हैं और अलग-अलग टीमें बनाकर मदद मांग रहे हैं।

रिपोर्टर - क्या आपने इसके लिए प्रशासन से अनुमति ली है?

उमेर - हां।

रिपोर्टर - अचानक कश्मीर से यहां आकर क्यों मदद मांग रहे है?

उमेर - पाकिस्तान बॉर्डर पर होने के कारण वहां हमेशा बंदी और कफ्र्यू रहता है इसलिए यहां आ गए।

रिपोर्टर - आप गली में घूमकर मदद क्यों मांग रहे हो, प्रशासनिक स्तर पर मदद करवा देते है?

उमेर - नहीं, हम लोग ऐसे ही अपना पेट पाल लेंगे, आप रहने दीजिए।

इस मामले में एसडीओ को एएसपी के साथ जांच के लिए लगाया गया है। जांच कर उनसे शीघ्र रिपोर्ट मांगी गई है।

- संजय अग्रवाल, डीएम

मामला गंभीर है और इसमें एएसपी से जांच कराई जा रही है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

- मनु महाराज, एसएसपी