आपको लोग हॉट कहते हैं?

हां, मैं हॉट हूं। फिल्म की डिमांड के अनुसार काम करती हूं। फिल्म में मैं किरदार को जीना चाहती हूं। मेरी कोशिश रहती है कि मेरे सीन लोगों के दिलों को छू ले। फिल्म में एक्ट्रेस को बेहतरीन एक्टिंग के साथ बोल्ड भी दिखना होता है।

आप ऐसे साड़ी पहनती है, जबकि फिल्मों में छोटे ड्रेसेज?

मुझे साड़ी पसंद है, इसलिए रियल जिंदगी हो या फिल्म, जरा-सी गुंजाइश होने पर साड़ी पहनती हूं। साड़ी में लड़की जितना ग्लैमरस दिखती है, उतना स्कर्ट में नहीं। मैं तो साड़ी में कुछ ज्यादा ही बोल्ड दिखती हूं, लेकिन फिल्म की स्टोरी जो डिमांड करती है वह तो करना ही पड़ता है।

भोजपुरी फिल्मों में अच्छी एक्ट्रेस नहीं आ रही। जो भी आती हैं, वे एक्टिंग से ज्यादा शरीर दिखाती हैं?

देखिए, सेंसटिविटी और वल्गैरिटी के बीच हेयर लाइन होती है। जहां सेंसटिविटी खत्म होती है, वहीं से वल्गैरिटी शुरू होती है। आज की एक्ट्रेस और निर्देशक भी इसका ख्याल नहीं रखते। मैं इस सीमा को जानती हूं। एक्ट्रेस हूं, तो थोड़ा ग्लैमरस दिखूंगी ही। लोग फिल्म देखकर आह भरें, तो मेरी एक्टिंग सक्सेस समझिए।

इस फिल्म में खास क्या है?

यह महिला प्रधान फिल्म है। इसमें पति-पत्नी, भाई-बहन, ननद-भौजाई के रिश्तों को दिखाया गया है। महिलाओं को फिल्म से जोडऩे के लिए गोधन और होली जैसे पर्व को भी अच्छे से दिखाया गया है। मैंने यही देखकर फिल्म साइन किया है।

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