देरी को दूर करने का प्रावधान
वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से वित्त राज्यमंत्री शिव प्रसाद ने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट (संशोधन) विधेयक 2017 पेश किया। इसमें चेक बाउंस होने के मामले में होने वाली अनावश्यक देरी को दूर करने का प्रावधान किया गया है।
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अंतरिम मुआवजा देने का आदेश
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक के अनुसार, संबंधित अदालत चेक जारीकर्ता से शिकायतकर्ता को अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दे सकती है। जारी करने वाले या जारी करने वाली द्वारा खुद के निर्दोष होने की दलील देने पर भी संबंधित अदालत संक्षिप्त सुनवाई या समन के दौरान यह आदेश दे सकती है।
शिकायत सही नहीं तो ब्याज के साथ लौटानी होगी राशि
अंतरिम मुआवजा राशि जारी चेक की राशि का 20 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है। यदि जारीकर्ता मामले में बरी हो जाता है तो अदालत शिकायतकर्ता को अंतरिम मुआवजा में मिली राशि ब्याज के साथ लौटाने के लिए कह सकती है।
शिकायतों के बाद उठाया गया है कदम
विधेयक में कहा गया है कि सरकार को लागों और कारोबारी समुदाय से कई शिकायतें मिली हैं। ये चेक बाउंस होने के मामले लंबित होने से संबंधित हैं। आसानी से अपील दायर करने और प्रक्रिया पर रोक हासिल करना देरी का कारण है। इससे भुगतान पाने वाले के साथ अन्याय होता है। चेक का महत्व समझने के लिए अदालती कार्यवाही में बहुत समय और संसाधन खर्च हो जाता है।
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