जयपुर (पीटीआई)। राजस्थान में मची सियासी जंग में अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी शामिल हो गई है। बसपा ने बुधवार को राजस्थान हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ बसपा के छह विधायकों के विलय को चुनौती दी। इस संंबंध में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा, हमने आज बसपा विधायकों के कांग्रेस के साथ विलय के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राजेंद्र गुड्ड (उदयपुरवाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली, लखन सिंह मीणा (करोली), संदीप यादव (तिजारा) और दीपिका खेरिया (किशनगढ़बास) ने बसपा के टिकट पर 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता था। इसके बाद वे सभी सितंबर 2019 में कांग्रेस में शरीक हो गए थे। सत्तारूढ़ कांग्रेस के साथ बसपा के विधायकों का विलय होने के बाद अशोक गहलोत की पार्टी को मजबूती मिली थी। 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की सदस्य संख्या 107 हो गई है।

असंवैधानिक रूप से कांग्रेस के साथ मिला लिया

बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को कहा था कि राजस्थान में चुनाव परिणाम के बाद बसपा ने कांग्रेस को अपने सभी 6 विधायकों का बिना शर्त समर्थन दिया था लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत ने बहुजन समाज पार्टी के छह विधायकों को असंवैधानिक रूप से कांग्रेस के साथ मिला लिया है। अपने पहले के कार्यकाल में भी उन्होंने ऐसा ही किया था। ऐसे में अब हम अशोक गहलोत और उनकी पार्टी को सबक सिखाना चाहते हैं। बसपा प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी पहले भी अदालतों में जा सकती थी लेकिन सही अवसर का इंतजार कर रही थी।अब हमने कोर्ट जाने का फैसला किया है। हम अब इस मामले में पीछे नहीं हटेंगे बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

बसपा ने विधायकों के लिए एक व्हिप जारी किया है

बता दें कि इसके पहले रविवार को बसपा ने अपने राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के माध्यम से अपने छह विधायकों के लिए एक व्हिप जारी किया था। इसमें सभी को किसी भी 'अविश्वास प्रस्ताव' के मामले में कांग्रेस के खिलाफ वोट करने का निर्देश दिया गया था। व्हिप के जरिए कहा कि यदि उनमें से कोई भी विधायक पार्टी के आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसे भारत के संविधान की 10 वीं अनुसूची के पैरा 2 (एल) (बी) के तहत अयोग्यता का सामना करना पड़ेगा। गाैरतलब है कि राजस्थान में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच मतभेद सामने आने से करीब 20 दिन से राजस्थान सरकार उथल-पुथल में है।

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