10 जुलाई को होगा  फैसला

माना जा रहा है कि आगामी बजट मे आयकर कानून की धारा 80सी, 80सीसी तथा 80सीसीसी के तहत दी जाने वाली छूट की इस सीमा को 2 लाख्ा रुपये किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि राजस्व विभाग अभी यह आकलन कर रहा है कि यदि निवेश पर कर छूट की सीमा बढ़ाई जाये तो सरकार पर कितना बोझ पड़ेगा. इसकी घोषणा बजट में हो सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली 2014-15 का बजट 10 जुलाई को लोकसभा में पेश करेंगे.

बीमा कंपनियां पहले से कर रही मांग

बैंक और बीमा कंपनियां काफी समय से निवेश पर कर छूट सीमा को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. जिससे परिवारों की बचत को प्रोत्साहन दिया जा सके. देश में बचत की दर 2008 में सकल घरेलू उत्पाद का 38 फीसदी थी, जो 2012-13 में घटकर 30 फीसदी पर आ गई. बीमा कंपनियां चाहती हैं कि यह फैसला जल्द से ज्ाल्द आ जाये.

डीटीसी से की सिफारिश

सूत्रों ने कहा कि निवेश पर कर छूट सीमा बढ़ाने से वेतनभोगी वर्ग को काफी फायदा होगा. जो इस समय बढ़ी मुद्रास्फीति की मार झेल रहे है. प्रत्यक्ष कर संहिता(डीटीसी) में सिफारिश की गई है कि निवेश और दूसरे खर्चों की कुल सीमा को बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना कर दिया जाना चाहिए. जिन वित्तीय उत्पादों पर निवेश में कर छूट मिलती है. उनमें जीवन बीमा प्रीमियम, पीपीएफ, कर्मचारी भविष्य निधि, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट(एनएससी), आवास ऋण पर दिया गया ब्याज, म्युचुअल फंडों द्वारा बेची गई इक्विटी आधारित बचत योजनाएं और 5 साल की परिपक्वता अवधि के बैंक मियादी जमा(एफडी) शामिल हैं.

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