महोबा के चरखारी सीट से उमा भारती की उम्मीदवारी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से निष्कासित पूर्व मंत्री की वजह से कम से कम तीन सीटों पर भाजपा मुकाबले की स्थिति में आ गई है और आधा दर्जन सीटों पर विरोधी दलों को क़डी टक्कर देने की स्थिति में पहुंच गई है.

सिर्फ राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस यहां अच्छी स्थिति में है. सबसे मुश्किल स्थिति में बसपा दिख रही है जिसके लिए अपनी जमीन बचाना मुश्किल हो गया है. पिछले 2007 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की 21 (अब नए परसीमन में 19) सीटों में से बसपा 15 पर, कांग्रेस 3 पर और समाजवादी पार्टी (सपा) चार सीटों पर सफल रही थी.

भाजपा का खाता खुलना तो दूर की बात रही, अधिकतर सीटों में तीसरे व चौथे स्थान पर सिमट गई थी। इस बार के चुनाव में तस्वीर कुछ बदली हुई है। महोबा जिले की चरखारी सीट से उमा भारती की उम्मीदवारी से जहां कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार हुआ है, वहीं मुख्यमंत्री मायावती के करीबी रहे पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के बसपा के निकाले जाने और भाजपा में शामिल होने से बने जातीय समीकरण भी पक्ष में आ गए हैं.

चरखारी सीट में 38 हजार के लगभग लोधी मतदाता हैं, यहां उमा के साथ कुशवाहा, क्षत्रिय, ब्राrाण के अलावा अनुसूचित वर्ग की कोरी बिरादरी भी टूट कर जु़ड गई है. उमा के चुनाव ल़डने पर चरखारी सीट अचानक वीआईपी हो गई है.

इतना ही नहीं, मतदाता यह भी मान रहे हैं कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो उमा ही मुख्यमंत्री होंगी और विकास की गंगा बहेगी, इस लिहाज से सभी जी जान से जुटे हैं. यहां से भाजपा के टिकट पर पिछला चुनाव ल़ड चुकीं पुष्पा अनुरागी बताती हैं,"" अबकी बार बने जातीय समीकरण बसपा, कांग्रेस और सपा को पीछे छो़डने के लिए काफी है.""

भाजपा में कभी दबंग विधायक गिने जाते रहे बादशाह सिंह पिछला चुनाव बसपा के टिकट पर मौदहा सीट से चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए. अब की बार मौदहा सीट समाप्त हो गई है और चुनाव के कुछ दिन पूर्व लोकायुक्त की शिकायत पर मायावती ने बादशाह को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

बादशाह सिंह इस बार महोबा की सदर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव ल़ड रहे हैं. बांदा पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का गृह जनपद है. यहां की सभी चार विधानसभा सीटों पर कुशवाहा मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करने की स्थिति में है. यह जनपद हमेशा बसपा का गढ़ रहा है, लेकिन इस चुनाव में उसकी जमीन खिसकती नजर आ रही है. एक विशेष अनुसूचित कौम के अलावा अन्य बिरादरी के लोग बसपा पर अपनी राजनीतिक उपेक्षा का आरोप लगाकर अलग-थलग हो गए हैं.

राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह का कहना है, ""समीकरण यदि इसी प्रकार बना रहा तो बसपा की जमीन खिसकनी तय है. इसका फायदा भाजपा और कांग्रेस को मिलेगा. रही बात सपा की तो वह पूर्ववत स्थिति में बनी रह सकती है.""

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