कानपुर (डाॅ. प्रीति शुक्ला)। World Cancer Day 2020 : यूनियन फॉर इंटरनेशल कैंसर कंट्रोल की ओर से इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य सन 2008 में लिखे गए वर्ल्ड कैंसर डिक्लेरेशन को सपोर्ट करना है। इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्य सन 2020 तक कैंसर पीडि़त व्यक्तियों की संख्या में कमी करना और इसके कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है। इसके साथ ही लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचान पाने के लिए प्रयास करना, उनमें जागरूकता बढ़ाना, लोगों को शिक्षित करना, साथ ही सरकारों और गैर-सरकारी संघठनों को दुनिया भर में इस बिमारी के खिलाफ लडऩे के लिए तैयार करना है। अब मुद्दा ये उठता है कि कैंसर जैसी बीमारी के लक्षणों को कैसे पहचाना जाए।

छोटा बदलाव भी दे सकता है बड़ी बीमारी का संकेत

रोज की दिनचर्या में कभी-कभी हमारे शरीर में ऐसे बदलाव आते हैं, जिन्हें हम छोटी-मोटी समस्या समझकर टाल देते हैं, लेकिन कभी-कभी ये बदलाव हमें बड़ी बीमारी की तरफ संकेत दे रहे होते हैं। इन संकेतों को आसानी से समझें तो, सबसे पहले आता है अक्सर ज्यादा थकान का लगना। अत्यधिक थकान ब्लड कैंसर का लक्षण हो सकता है, थकान के साथ अगर लम्बे समय से बुखार भी आ रहा हो और उसका कोई कारण ना पता चल रहा हो, तो इसे अनदेखा न करें। अत्यधिक शारीरिक कमजोरी से दिनचर्या में बदलाव एक गंभीर लक्षण है। इसके अलावा अचानक अगर आपका वजन कम हो रहा हो, तो इसको भी किसी तरह से अनदेखा न करें। यह कोलन कैंसर की चेतावनी हो सकती है। भूख ना लगना, पेट में दर्द इत्यादि पित्त या लीवर की बीमारी तरफ संकेत करते हैं। यही नहीं, शरीर के किसी भाग में कोई फोड़ा या गांठ जोकि विशेषकर दर्द न करती हो, उसे तो बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें, तो बेहतर होगा। शरीर की कोई गांठ बढऩे लगे, उसका रंग बदलने लगे, अचानक दर्द होने लगे या उसमे घाव होने लगे, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। कई बार हम अपने आसपास किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं, जिसका मुंह कम खुल पा रहा हो या उसके मुंह में ना भरने वाले घाव हों, तो हो सकता है कि वह मुंह के कैंसर के लक्षण हों।

आकार में बदलाव स्तन कैंसर का लक्षण

महिलाओं के निप्पल में बदलाव होना भी कोई आम बात नहीं होती। इस तरह से इसके आकार में बदलाव आना अचानक स्तन कैंसर का कारण हो सकता है, जिसमें निप्पल का सपाट होना या अन्दर कि तरफ मुड़ जाना शामिल है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। उनके पीरियड्स में बदलाव होना भी इसका एक बड़ा लक्षण हो सकता है। असमय खून का स्त्राव होना, सफेद अथवा बदबूदार पानी का आना, ये बच्चेदानी के ट्यूमर या कैंसर की तरफ संकेत करता है। मल-मूत्र की आदतों में परिवर्तन होने के संकेत को भी समझें। 60 वर्ष की उम्र के बाद अगर पुरुषों को यूरिन की परेशानी शुरू हो गई है, तो वो प्रोस्टेट की समस्या हो सकती है। एक साथ कभी कब्ज और कभी दस्त की शिकायत हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

रक्तस्राव को नजर अंदाज न करें

यूरिन में खून अथवा मल के साथ खून का आना भी इस क्रम में एक सीरियस लक्षण है। लम्बे समय की खांसी को भी न नजरअंदाज करें तो अच्छा होगा। अगर लम्बे समय से खांसी आ रही हो तो अथवा कफ में खून आ रहा हो तो यह भी एक सीरियस लक्षण हो सकता है। हड्डियों का दुखन वाला दर्द, कपाल की हड्डी, स्पाइन की हड्डियों व लम्बी हड्डियों में बिना किसी विशेष कारण के फ्रैक्चर हो जाना, शारीरिक कमजोरी होना, हड्डियों के कैंसर का लक्षण हो सकता है। खाना निगलने में दिक्कत अथवा पानी के सहारे ही खाना निगल पाना अथवा उल्टी में कई दिन पुराना खाना निकलना एक तरह के स्टमक कैंसर का लक्षण हो सकता है। इन सबके अलावा मरीज को हर समय सिरदर्द रहना वा सिरदर्द सोने के बाद बढ़ जाना या सुबह के समय सिरदर्द का बढ़ जाना, उल्टियां होना, दिमागी कमजोरी व अन्य लक्षण जैसे कि आंखों की रोशनी का कम होना, हाथ- पैर की कमजोरी आना, अचानक से पहली बार प्रौढ़ावस्था में मिर्गी आने लगना, दिमाग में प्राथमिक कैंसर के लक्षण हो सकते हैं या शरीर की किसी अन्य हिस्सों से दिमाग में फैले कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।

डाॅक्टरी सलाह बहुत जरूरी

अब सवाल से उठता है कि ऐसे कोई लक्षण अगर आम जीवन में दिखाई दें, तो क्या करें। इसका जवाब है जांच। इन लक्षणों के दिखने पर आपको सबसे पहले जाकर डॉक्टरी परामर्श लेकर जांच करानी चाहिए। वैसे जागरूक होना ही कैंसर का प्रमुख उपचार है, क्योंकि प्रारम्भिक अवस्था में कैंसर की रोकथाम व उपचार पूरी तरह से किया जा सकता है। इसके लिए कई लक्षणों में आप सेल्फ एग्जामिनेशन भी कर सकते हैं। जैसे मुंह में तीन उंगली खड़ी डालकर देखें, अगर तीन उंगली ना जा पाए, तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं। महिलाएं अपने स्तन की किसी भी गांठ को स्वयं देख सकती हैं।

अब कैंसर लाइलाज नहीं

साधारण एक्सरे से लेकर अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन, पीईटी स्कैन की जांच से प्रारम्भिक स्थिति में कैंसर का पता लगाया जा सकता है। कैंसर का इलाज उसकी स्टेज और प्रेजेंटेशन पर निर्भर करता है, लेकिन सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, इम्युनोथेरेपी से इलाज संभव हुआ है, इनका आवश्यकता अनुसार संयोजन किया जाता है। इन सबकी मदद से अब कैंसर लाइलाज नहीं है। सर्जरी में रोबोटिक और टारगेट ओरिएंटेड सर्जरी होने से रिजल्ट काफी अच्छे हुए हैं। रेडियोथेरेपी में भी नई तकनीकी ज्यादा प्रभावी व कम नुकसानदायक हो गई हैं। इसके साथ ही साथ कीमोथेरेपी के साथ अन्य दवाओं के इस्तेमाल से उसके दुष्प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है। इम्युनोथैरेपी और मॉलीकुलर लेवल पर कैंसर का उपचार संभव है। कुल मिलाकर कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी जरूर हो सकती है, पर अब विज्ञान और तकनीक की मदद से इसका इलाज संभव हो चुका है। जरूरत है तो बस समय पर इसके लक्षणों को समझकर उनकी जांच में लापरवाही न बरतने की।

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