क्या है जानकारी
बताया जा रहा है कि सेंसर बोर्ड के आंतरिक निर्णयों के अनुसार कश्यप को फिल्म के टाइटल को इस खास नजरिये से चलाने की अनुमति दी गई है क्योंकि ये एक पीरियड फिल्म है. सूत्र के अनुसार, 'फिल्म के अंदर या गानों में बॉम्बे शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है. ऐसे में बोर्ड के एक सदस्य ने यह बात उठाई कि फिल्म में इस शब्द का इस्तेमाल करने की इजाजत उस शर्त पर मिलनी चाहिए, जब फिल्म महाराष्ट्र के बॉम्बे एक्ट 1996 के प्रभाव में आने से पहले के समय से ताल्लुक रखती हो. ये वो एक्ट था जिसके तहत बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया.'

बोर्ड के सदस्यों ने जांची हर गाइडलाइन
इसको लेकर सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी दी गई कि बोर्ड के सदस्य ने फिल्म के सर्टिफिकेशन में दी गई गाइडलाइंस को भी पूरी सही तरीके पढ़ लिया है. इतना ही नहीं ये गाइडलाइंस इस बात की हर तरह से पुष्टि करते हैं कि फिल्म को पूरी तरह से जांच लिया गया है. फिल्म उसी दौर को परिभाषित करती है. यह सब जांचकर ही फिल्म को उसी नाम के साथ रिलीज करने की अनुमति मिल गई है.
            
और किसके साथ फंसा नाम का पेंच
इससे पहले भी फिल्म मेकर्स की ओर से फिल्म के टाइटल से 'बॉम्बे' शब्द को हटाने के मामले सामने आ चुके हैं. इससे पहले निर्देशक करण जौहर को भी अपनी फिल्म 'Wake up Sid' के लिए अस्वीकरण डालना पड़ा था. उन्होंने ऐसा अपनी फिल्म में इस्तेमाल होने वाले शब्द बॉम्बे के कारण किया था. वो भी इसलिए ताकि उसको लेकर किसी भी राजनीतिक कारण से फिल्म को प्रतिबंधित न कर दिया जाए. हाल ही में मेकर्स को 'Bombay Central' टाइटल को भी बदलना पड़ा था. डायरेक्टर जॉय मुखर्जी की फिल्म 'Love in Bombay' को 42 साल बाद 'Love in Mumbai' टाइटल के साथ रिलीज किया गया. वहीं दूसरी ओर आशी दुआ की फिल्म 'Bombay Talkies' (2013) को उसी नाम से रिलीज करने की अनुमति मिल गई, क्योंकि ये फिल्म हिंदी सिनेमा के 100 वर्षों को एक श्रद्धांजलि थी.

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