ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी :- ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स की जांच जरूर कर लें।

(1) शेयर सर्टिफिकेट :- बताते चलें कि सोसाइटी शेयर सर्टिफिकेट देता है। इससे प्रॉपर्टी बेचने वाले की मेंबरशिप का भी पता चल जाता है। अगर सेलर सोसाइटी का शेयर सर्टिफिकेट नहीं देता है तो समझ जाइए कि यह प्रॉपर्टी खरीदने के लिए सही नहीं है।

(2) एनओसी :-
किसी भी सोसइटी में प्रॉपर्टी खरीदने में एनओसी काफी अहम होता है। इससे पता चलता है कि ट्रांसफर में कोई समस्या तो नहीं है। इसके अलावा एनओसी सर्टिफिकेट यह भी बताता है कि प्रॉपर्टी सेलर किसी तरह का डिफॉल्टर तो नहीं है। ऐसे में प्रॉपर्टी खरीद में एनओसी आवश्यक है।

(3) भूमि रिकॉर्ड की जानकारी :-
अगर आप खेती की जमीन, कॉमर्शियल प्लॉट ले रहे हैं। तो इसके भी दस्तावेजों को जांच लें। खेती की जमीन के दस्तावेजों की जानकारी राज्य सरकार के राजस्व विभाग से मिल जाएगी। जमीन के वर्तमान खसरा नंबर से जमीन के पुराने से लेकर आज तक के रिकार्ड की फोटोकॉपी तहसील ऑफिस और जिला रिकॉर्ड रूम से प्राप्त की जा सकती है। वहीं कॉमर्शियल प्लॉट के पेपरों की जानकारी लोकल अथॉरिटी से मिल जाएगी।

(4) शहरी क्षेत्रों में दस्तावेजों की जांच :- आपको बताते चलें कि शहरी इलाकों में जमीन का रेगुलेशन जोन वाइज किया जाता है। इसलिए प्रॉपर्टी लेने से पहले लोकल विकास प्राधिकरण में जाकर उसके जोनल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करें। यह सुनिश्चित करें कि जिस प्रॉपर्टी को आप खरीदने जा रहे हैं वह रेजिडेंशियल जोन में है। अगर प्रॉपर्टी कॉमर्शियल या इंडस्ट्रियल जोन में है तो उसमें निवेश बिल्कुल न करें क्योंकि ऐसे इलाकों में रेजिडेंशियल इमारत बनाना अवैध है।

(5) लैंड यूज में बदलाव :- कई बार कृषि जमीन का यूज बदलकर उसे गैर कृषि इस्तेमाल के लिए कर दिया जाता है। अगर जमीन इस तरह की है तो तहसीलदार या अन्य संबंधित अधिकारी के यहां फीस के साथ आवेदन कर इसका एंडोर्समेंट ऑर्डर हसिल करें। 

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