-दो किताबें बापू की पाती और एक थे बापू का किया लोकार्पण

PATNA: पटना में क्लाइमेट चेंज जलजमाव की बड़ी वजह है। अचानक बारिश से ये हालात उत्पन्न हुए। मौसम जिस तरह से बदल रहा है उससे कहीं सूखा तो कहीं अधिक बारिश हो रही है। बिहार में ताजा हालात की वजह भी यही है। यह बातें सीएम नीतीश कुमार ने गांधी की 150वीं जयंती पर बुधवार को पटना के ज्ञान भवन में आयोजित गांधी विचार समागम में कही।

सीएम ने स्कूलों में गांधी कथा वाचन के लिए दो किताबें बापू की पाती और एक थे बापू का लोकार्पण किया। सीएम ने कहा कि पटना के कुछ मोहल्लों में अब भी पानी है। लोग परेशान हैं। किंतु तत्परता से राहत कार्य चलाया जा रहा है। इस बार जुलाई में अचानक बहुत बारिश हुई। 2016 और 17 में भी ऐसा ही हुआ था। अबकी भी सबकुछ अचानक हुआ। मौसम विभाग ने भी नहीं सोचा था। बाढ़ के लिहाज से बिहार संवेदनशील है। नेपाल, उत्तराखंड और झारखंड में बारिश होने पर बिहार का संकट गहरा जाता है।

13 जुलाई को की थी बैठक

सीएम ने कहा कि बिहार के खतरे को भांपते हुए 13 जुलाई को सर्वदलीय बैठक हुई थी। सबका मानना था कि जलवायु संकट से पर्यावरण में परिवर्तन हो रहा है। लोगों में जागरूकता लाने और समाधान के लिए सरकार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाने की तैयारी की। सारे कुएं, तालाब एवं जलस्रोत चिह्नित कर लिए गए हैं। अब उनका जीर्णोद्धार होगा।

बदल जाएगा देश और समाज

सीएम ने कहा कि युवा पीढ़ी गांधी के विचारों को अपनाएं, 10 से 15 परसेंट लोगों ने भी गांधी को आत्मसात कर लिया तो देश और समाज बदल जाएगा।

ताकि कोई मिटा न सके

गांधी की सात नसीहतों का उल्लेख करते हुए सीएम ने मुख्य सचिव दीपक कुमार को निर्देश दिया कि इन्हें सचिवालय, सरकारी भवनों और स्कूलों में इस तरह से लगाया जाए कि कोई मिटा नहीं सके। नीतीश ने आशंका जताई कि मेरे बाद जो लोग सत्ता में आएंगे, वे इन्हें उखाड़ भी सकते हैं। इसलिए गांधी की नसीहतों को इस तरह लगाएं कि कोई मिटा न सके। चंपारण सत्याग्रह का उल्लेख करते हुए नीतीश ने कहा कि इसके बाद देश में ऐसी जागृति आई कि 30 वर्षो के भीतर आजादी मिल गई। बिहार ने चंपारण सत्याग्रह के सौ साल पूरे होने पर 2017 में देश में पहली बार स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया था, उसी दौरान मैंने तय किया था कि गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाएंगे। डिप्टी सीएम सुशील मोदी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वी। सुदर्शन रेड्डी, ग्वालियर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति रमाशंकर सिंह और जयंत सिंह तोमर ने भी अपनी बातें रखीं।