जिम्बाब्वे में सेना ने किया तख्तापलट

जिम्बाब्वे की सेना ने आज देश पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। सेना के शीर्ष अधिकारियों ने तख्तापलट से इनकार किया है। 93 वर्षीय राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे ने कहा कि वह नजरबंद हैं। सेना के वाहनों ने हरारे में संसद के बाहर की सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने रात के समय राष्ट्रीय टेलीविजन पर राष्ट्र को संबोधित किया। मेजर जनरल सिबुसिसो मोयो ने कहा हम राष्ट्र को यह आश्वासन देना चाहते हैं कि राष्ट्रपति और उनका परिवार सही सलामत है और उनकी सुरक्षा की गारंटी है। जनरल ने कहा हम केवल उनके आस-पास उन अपराधियों को निशाना बना रहे हैं जो अपराध कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि जैसे ही हमारा अभियान पूरा होगा हालात पुन: सामान्य हो जाएंगे। मोयो ने कहा यह सैन्य तख्तापलट नहीं है। सैन्य जनरलों के इन कदमों ने वर्ष 1980 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से जिम्बाब्वे में सत्ता पर काबिज मुगाबे के समक्ष बड़ी चुनौती पैदा कर दी है।

दुनिया के सबसे बूढ़े राष्‍ट्रपति का तख्‍तापलट

मिस्र में सेना ने किया था तख्तापलट

30 जून 2013 से आरम्भ हुये मिस्र के विरोध प्रदर्शनों के परिणाम स्वरूप मिस्र की सेना ने राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी को गद्दी से हटा दिया। जनरल अल-सीसी के अनुसार देश के राष्ट्रपति की शक्तियां अब मुख्य न्यायाधीश के पास होंगी। इससे पूर्व सेना ने राष्ट्रपति को जनता की मांगे मानने के लिए 24 घण्टे का समय दिया था। 3 जुलाई 2013 को शाम 5:00 बजे यह समय सीमा समाप्त हो गयी थी। इस तख्तापलट के साथ ही मिस्र में हो रहे विरोध प्रदर्शन समाप्त हो गये हैं। इससे पहले मिस्त्र में हुई क्रांति ने राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को सत्ता छोड़ने को मजबूर कर दिया था। गौरतलब है कि मूर्सी मिस्र के लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पहले राष्ट्रपति हैं। 14 अगस्त 2013 को अपदस्थ राष्ट्रपति मुहम्मद मोरसी के समर्थकों एवं विरोधियों के बीच हिंसा में 149 लोग हताहत हुए। इसके बाद राष्ट्र में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है।

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तुर्की के तख्तापलट में गई थी 250 लोगों की जान

तुर्की की सेना के एक गुट द्वारा टैंकों और लड़ाकू विमानों की मदद से सरकार का तख्ता पलटने की कोशिशों के बीच राष्ट्रपति एर्दोग़ान ने इस्तांबुल में दावा किया है कि सत्ता पर उनका नियंत्रण बना हुआ है और विरोधियों की साज़िश को नाकाम कर दिया गया है। सेना के नवनियुक्त प्रमुख जनरल उमित दुंदार ने बताया इस मामले में वायुसेना, सैन्य पुलिस और सशस्त्र बलों के अधिकारी मुख्य रूप से शामिल हैं। तख्तापलट के इस प्रयास के सेना के किसी भी उच्चपदस्थ अधिकारी का समर्थन हासिल नहीं था और देश के मुख्य विपक्षी दलों ने भी सरकार को उखाड़ फेंकने की इस कोशिश की भर्त्सना की। रातभर चली हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1440 लोग घायल हैं। उन्होंने बताया कि 2839 साजिशकर्तओं को हिरासत में लिया जा चुका है।

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चिली में तख्तापलट के दौरान मारे गए थे 3200 लोग

40 साल पहले 11 सितम्बर 1973 में, अमेरिकी सहयोग से चिली में अलेंदे सकरार का तख्तापलट किया गया था। 40 साल बाद भी अमेरिकी सरकार के इस कारनामें का अंत नहीं हुआ है। लोग जानना चाहते हैं 40 साल पहले जिन्हें हिरासत में लिया गया वो कहां हैं। इस तख्तापलट में 3,200 लोग मारे गये थे। 38,000 लोगों को हिरासत में लिया गया था और उन्हें जेलों में डाल दिया गया। इस घटना के विरोध में 8 सितम्बर को 60,000 से अधिक चिलीवासियों ने रैलियां निकाली, प्रदर्शन किये। कुछ प्रदर्शनकारियों ने अपने उन परिजनों की तस्वीरें ले रखी थी। तख्तापलट के बाद जनरल अगुस्तो पिनोशे की सरकार ने या तो अगवा करा लिया या जिन्हें मार डाला गया।

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जब पाकिस्तान में हुआ तख्तापलट

1999 में नवाज शरीफ जब श्रीलंका गए हुए थे तभी लौटते हुए परवेज मुशर्रफ ने उनकी सरकार का तख्तापलट कर दिया था। इसके बाद सत्ता से बेदखल हुए नवाज 2008 में ही पाकिस्तान लौट पाए थे। 2013 में पीएम बनने के बाद से ही उन्हें पाकिस्तानी सेना की तरफ से जबरदस्त दबाव झेलना पड़ रहा था। मुमकिन है पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद नवाज शरीफ को फिर गिरफ्तारी और तख्तापलट का डर सता रहा हो इसलिए उन्होंने लंदन भागने में ही भलाई समझी है।

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