लेडी देती है training
ये स्मार्ट लैडी बच्चा गैैंग को बदमाशी और चोरी करने की ट्रेनिंग देती है. ट्रेनिंग लेकर बच्चे मोबाइल शॉप्स में चोरी और पिक पॉकेट वगैरह करते हैैं. फिर चोरी के मैटिरियल्स को रामगढ़, साहेबगंज और पाकुड़ जैसे जिलों में जाकर बेचा जाता है.

काम कर रहे तीन-चार गिरोह
बच्चा गैैंग मेंं तीन तरह के गिरोह काम कर रहे हैं. एक गिरोह स्कूली स्टूडेंट्स का है, जो अपनी शौक या गर्लफ्रेंड  को इम्प्रेस करने के लिए लूटपाट करता है. दूसरा गिरोह प्रोफेशनल चोरों का हैै, जो ट्रेनिंग लेकर चोरी की धंधा करता है, तीसरा गिरोह वह है, जो अपनी गलत आदतों यानी ड्रग्स, डेंडराइट वगैरह के लिए लोगों से लूटपाट करता है. रांची पुलिस को इस बच्चा गैैंग का क्लू मिला है. पुलिस के मुताबिक, इस गिरोह के मेम्बर्स ट्रेन और सड़क मार्ग से रांची आते हैं. गैैंग के मेम्बर्स पाकुड़ के रहनेवाले हैैं.

चौंकाते हैं बच्चों के क्राइम रिकार्ड
मर्डर, छिनतई और डकैती से लेेकर रेप तक के जघन्य अपराधों में बच्चों की भागीदारी स्टेट में सामने आ रही है.  आपराधिक षड्यंत्र रचने के मामले में भी कई मासूम बाल सुधार गृह में बंद हैैं. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक साल 2000 से 2009 तक झारखंड में ही नाबालिगों के खिलाफ इंडियन पैनल कोड (आईपीसी) के तहत 728 क्रिमिनल केसेज दर्ज हुए हैं. स्टेट में अब तक तकरीबन 80 मर्डर केसेज में नाबालिगों पर दफा 302 के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है, जबकि अटेंप्ट टू मर्डर (307) के तहत 40 मामले दर्ज हैं. स्टेट में अब तक कुल 14 बच्चों पर डकैती में शामिल होने, 21 पर डकैती की प्लानिंग करने, 21 पर ही लूट में शामिल होने, 114  पर चोरी करने और 14 पर आम्र्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. स्टेट में सबसे  ज्यादा 16 से 18 एज ग्रुप के बच्चों में क्रिमिनल बिहेवियर पाया गया है. इस उम्र के बच्चों के 390 केस आईपीसी के तहत दर्ज हैं. वहीं 12 से 18 एज ग्रुप के 281 बच्चों पर क्रिमिनल केसेज चल रहे हैं, जबकि 7 से 12 एज ग्रुप में ये संख्या 16 है. एसएसपी के मुताबिक, इन बच्चों में एक तरह का माइनिया डेवलप होता है. जैसे किसी-किसी बच्चे की आदत होती है कि वह घर से रोटी लेता है और पॉकेट में रखता है. पॉकेट में रखने के बाद एक-एक टुकड़ा निकाल कर खाता है. मुट्ठी भर चीनी ले ली, तो वह उसे समय के अंतराल में फांकता रहता है. अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए घर में चोरी कर लेता है. दूसरों के साथ वह कंधा से कंधा मिलाकर, स्टेटस के साथ चलना चाहता है. लेकिन पैसों के अभाव में वह पूरा नहीं कर पाता है. उसमें गिल्टी का भाव होता है. ऐसे ही लोग क्राइम करने लगते हैं.