कानपुर (इंटरनेट डेस्‍क)। Dhanteras 2023 : दिवाली के पांच दिवसीय दिवाली उत्सव के पहले दिन धनतेरस मनाते हैं। रीति-रिवाजों के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान कुबेर, धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से सौभाग्य और समृद्धि आती है। धनतेरस के त्योहार पर लोग अन्य अनुष्ठानों के साथ-साथ पूजा और आरती भी करते हैं। कई लोग इस शुभ दिन पर सोना और चांदी भी खरीदते हैं क्योंकि इसे अत्यधिक भाग्यशाली माना जाता है। इनके अलावा, मुख्य उत्सव घटकों में से एक धनतेरस की शाम को मिट्टी का दीपक या दीया जलाना है। इस प्रथा का दूसरा नाम यम दीपम या दीपदान है। हिंदू ग्रंथों में कहा गया है कि दीये जलाने का उद्देश्य मृत्यु के देवता भगवान यम को प्रसन्न करना है। यह एक आम धारणा है कि घरों के सामने वाले दरवाजे के बाहर तेल के दीपक लगाने से परिवार के सदस्यों को संभावित खतरों से बचाया जा सकेगा।

Happy Dhanteras 2023 Wishes: धन और आरोग्‍य से सजी ये शुभकामनाएं पहुंचाएं अपनों के पास और इस धनतेरस को बनाएं खास

धनतेरस 2023: यम दीया या यम दीपम शुभ मुहूर्त

- यम दीपम 2023 शुभ मुहूर्त - 05:46 अपराह्न - 07:42 अपराह्न

- यम दीपम 2023 प्रदोष काल मुहूर्त - 05:29 अपराह्न - 08:07 अपराह्न

- यम दीपम 2023 वृषभ काल मुहूर्त - 05:46 अपराह्न - 07:42 अपराह्न

यम दीप जलाने का महत्व
मान्‍यताओं के अनुसार नियत समय पर किसी व्यक्ति के प्राण को छीनने का कार्य देवता यम (यमराज, मृत्यु के देवता) को सौंपा गया है। मौत से कोई बच नहीं सकता। धनत्रयोदशी, नरक चतुर्दशी और यमद्वितीया के दिन, लोग अकाल मृत्यु से सुरक्षा के लिए मृत्यु के देवता यमधर्म की पूजा करते हैं। शाम के समय गेहूं के आटे से बना तेल का दीपक (या तेरह तेल के दीपक) जलाया जाता है। लौ का मुख दक्षिण की ओर करके इन दीपकों को घर के बाहर रखा जाता है। इस दिन को छोड़कर कभी भी जलते हुए दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर नहीं रखनी चाहिए। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की शाम को घर के बाहर दीपक जलाने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। यह दिन यमदेव को दीप अर्पित करने और उनसे आशीर्वाद मांगने के लिए समर्पित है। मान्‍यता है कि जो लोग धनत्रयोदशी के दिन दीपदान करते हैं उन्हें यमदेव की कृपा से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है।