विधायकों से नहीं हो सका संपर्क
राज्य के सीएम उमर अब्दुल्ला का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ ने उनकी सरकार को ले डूबा है. उमर ने कहा कि,'राजधानी (श्रीनगर) ही नहीं, बल्कि सरकार ही पूरी तरह डूब गई थी. वित्त मंत्री पांच दिन से फंसे थे. इसके अलावा दो-तीन मंत्रियों का अभी भी कोई पता नहीं है. कई विधायकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है. ऐसा लगता है कि सरकार चलाने वाली व्यवस्था ही बह गई थी'. जम्मू में आई इस बाढ़ से सरकार के साथ-साथ सरकारी महकमा भी कई दिनों तक इसमें फंसा रहा.

नोडल अफसर भी रहे फंसे
सचिवालय में अतिरिक्त सचिव रामेश्वर कुमार बुधवार को जम्मू पहुंचे. उन्होंने बताया कि वह तुलसी बाग फेस-2 में सचिवालय के कर्मचारियों के साथ रहते थे. सभी फंसे थे. सारा तंत्र खराब था. सीएम ग्रीवेंसेस सेल के नोडल अफसर राम सेवक भी 8 दिनों तक फंसे रहे. उनके साथ पत्नी, बच्चे और बहन थीं. सेल के अधिकारी होने के चलते उनके पास आधिकारिक फोन था. फोन होने के कारण उनके पास लगातार कॉल आ रही थीं. परंतु वह बेबस थे. वह अपने परिवार वालों को नहीं बचा पा रहे थे.

अब महामारी का खतरा
इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि जो जगह जन्नत के लिये विख्यात थी, आज वहां इस तरह  तबाही मची हुई है कि पूरा जन-जीवन तहस नहस हो चुका है. जम्मू-कश्मीर में अब जैसे-जैसे बाढ़ का पानी कम हो रहा है, इसके बाद महामारी फैलने का खतरा बनता जा रहा है. इस खतरे से निपटना एक बड़ी चुनौती है. हालांकि केंद्र सरकार ने डॉक्टरों की टीम और दवाओं की बड़ी खेप भेज दी है. इसके साथ-साथ छोटे आईसीयू भी तैयार किये गये हैं.

सेना ने झोंकी ताकत
श्रीनगर में बाढ़ पीडितों को बचाने के लिये सेना के जवानों ने पूरी ताकत झोंक दी है. बचाव अभियान की तस्वीरें बाढ़ की त्रासदी के आर और जमीनी हालात को बखूबी बयां कर रही है. पानी का स्तर भले ही कम हो, लेकिन बहाव इतना तेज है कि अब भी लोगों को काफी परेशानी हो रही है. बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिये सेना के जवान रस्सियों के सहारे प्राथमिकता के आधार पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को निकाल रहे हैं. इसके अलावा पानी में डूबे घरों में रह रहे लोगों को खाने-पीने का सामान और जरूरी चीजों की सप्लाई सेना के जवान मोटरबोट के जरिये कर रहे हैं.

सेना पर हो रहा पथराव
जम्मू-कश्मीर में राहत और बचाव के दौरान कई मुश्किलें भी आ रही हैं. अलग-अलग इलाकों में सेना और मीडिया की टीम को विरोध का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय लोगों के इस विरोध की वजह से राहत के काम में दिक्कत आ रही है. इन स्थानीय लोगों की नाराजगी इस बात से है कि राहत का काम वे भी कर रहे हैं, लेकिन राहत का पूरा श्रेय सेना को दे दिया जा रहा है. इन लोगों ने बचाव के लिए गए लोगों पर पथराव तक किया, साथ ही कई जगहों पर धक्कामुक्की भी की गई.

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