जियोलाजी स्टूडेंट्स के लिए मौका

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में जियोलाजी की फील्ड में रुचि रखने वाले स्टूडेंट्स के लिए न्यू इयर का गिफ्ट अर्थ साइंस डिपार्टमेंट के रूप में दे दिया है। इंस्टीट्यूट में नया डिपार्टमेंट शुरु करने की कवायद पूरी कर ली है। इसी साल, यानि कि आने वाले जुलाई 2014 सेशन से ही अर्थ साइंस में डिपार्टमेंट में पढऩे वालों को एडमिशन दिया जाएगा। कोर्स के एमटेक में 15 स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाएगा। इसके अलावा नए डिपार्टमेंट में पीएचडी की भी 10 सीटें शुरु की जा रही हैं।

इनके पास रहेगी कमान

अर्थ साइंस डिपार्टमेंट का कमान प्रो। राजीव सिन्हा, प्रो। एस के टंडन, प्रो। जावेद मलिक, डॉ। डी पॉल संभालेंगे। यह चारों फैकल्टी मेंबर्स शुरूआत में स्टूडेंट्स को पढ़ाएंगे। प्लानिंग के अनुसार शुरुआती दौर में डिपार्टमेंट सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से गवर्न होगा। जियोलाजी की पीजी डिग्री होल्डर्स को ही पीएचडी एंट्रेंस में एपीयर होने का मौका मिलेगा।

नेट या जेआरएफ को प्रायोरिटी

जियोलॉजी में गेट क्वालीफाई करने वाले स्टूडेंट्स को नए विभाग के एमटेक में एडमिशन मिलेगा। लेकिन गेट के बाद भी 15 सीटों में एक पाने के लिए छात्र को पैनल के सामने इंटरव्यू में एपीयर होना पड़ेगा। तब 15  सीटों के लिए

पीएचडी में जिन्हें एडिमशन दिया जाएगा उन स्टूडेंट्स के पास जियोलाजी में फस्र्ट क्लास की पीजी में डिग्र्री होनी चाहिए। इसके अलावा नेट या जेआरएफ क्वालीफाई करने वाले स्टूडेंट्स को वेटेज मिलेगा। लेकिन इन स्टूडेंट्स को इंटरव्यू की कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा।

नई वेबसाइट मार्च तक

नए साल में आईआईटी कानपुर की नया पोटर्ल डेवलप किया जा रहा है। हालांकि अभी करीब तीन महीने का टाइम लग सकता है। वेबसाइट का करीब 60 परसेंट काम पूरा किया जा चुका है। उम्मीद है कि मार्च 2014 तक वेबसाइट का काम पूरा कर लिया जाएगा। सभी डिपार्टमेंट्स का कई तरह का डेटा अपलोड किया जा रहा है। नए डायनेमिक इंटरएक्टिव पोर्टल का खाका मास्टर ऑफ डिजाइन डिपार्टमेंट बना रहा है। वेबसाइट का काम प्रो। सत्यकी रे देख रहे हैं।

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इंस्टीट्यूट में अर्थ साइंसेस डिपार्टमेंट खोला जा रहा है। जहां पर नए सेशन में एमटेक व पीएचडी प्रोग्र्राम शुरू किया जाएगा। बोर्ड व सीनेट की मीटिंग में इस प्रपोजल को हरी झंडी मिल गयी है। डिपार्टमेंट के इन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने के लिए मिनिस्ट्री को प्रपोजल भेजा जा रहा है।

-आर के सचान, रजिस्ट्रार आईआईटी कानपुर