एक समय पॉल का वजन 444 किलोग्राम था. उस वक्त वो चल-फिर नहीं सकते थे. आजकल उनका वज़न 152 किलोग्राम है. वो कहते हैं कि जब तक शरीर से जरूरत से ज्यादा चमड़ी को हटाया नहीं जाता तब तक मैं ऐसे ही “अनिश्चय की स्थिति में लटका रहूंगा”.

“मैं चाहता हूं कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले इस मामले को जानें और मेरी मदद के बारे में सोचें.”

ब्रिटेन के इस्पविच में रहने वाले 52 साल के मेसन ने 2010 में बाईपास सर्जरी कराई थी. वो कहते है कि उनका मकसद वजन को घटाकर 95 किलोग्राम तक लाना है.

मेसन के मुताबिक अगर वो तीन बार ऑपरेशन करवा लें तो उनका वजन 50 किलो तो ऐसे ही घट सकता है. वो कहते हैं कि वो टांग, बाजुओं और शरीर के बीच वाले हिस्से में लटकने वाली चमड़ी को हटवाना चाहते है.

मेसन के मुताबिक अगर वो तीन बार ऑपरेशन करवा लें तो उनका वजन 50 किलो तो ऐसे ही घट सकता है. वो कहते हैं कि वो टांग, बाजुओं और शरीर के बीच वाले हिस्से में लटकने वाली चमड़ी को हटवाना चाहते है.

“मेरे शरीर के बीच के हिस्से में और मेरे टांगों की चमड़ी वजन के कारण टूटती रहती हैं. मैं चाहता हूं कि मुझे चलने-फिरने के लिए व्हील चेयर का इस्तेमाल न करना पड़े.”

वो कहते हैं कि उन्होंने अपनी नग्न तस्वीरें इसीलिए सार्वजनिक की क्योंकि उन्हें ये उम्मीद नहीं थी कि ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना के तहत उनकी सर्जरी हो सकेगी. ऑपरेशन में 60 हजार पाउंड से ज्यादा का खर्चा आएगा.

उधर राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना का कहना है कि पॉल की सर्जरी तभी हो सकती है जब दो सालों तक उनके शरीर का वजन स्थिर रहे. पॉल मेसन समझते हैं कि कुछ लोगों को ये तस्वीरें चौंकाने वाली लग सकती है लेकिन इससे मोटापे के खिलाफ जागरुकता फैलेगी.

पॉल मेसन कहते हैं कि उन्होंने अपनी पीठ का फोटो कभी नहीं देखा है. वो ये भी मानते हैं कि कुछ लोगों को ये तस्वीरें “चौंकाने वाली” लग सकती हैं. वो कहते हैं, “मैं चाहता हूं कि लोग उनके शरीर से जुड़े हुए मसलों के बारे में जागरूक हों. वो जानें कि जब आपका वजन ज्यादा बढ़ जाता है तो क्या होता है. कुछ लोग ये सोचते हैं कि बाद में ठीक हो जाएगा लेकिन दरअसल ऐसा होता नहीं है.”

“अगर लोगों को ये चौंकाने वाला लगेगा तभी वो ये सोचेंगे कि उन्हें उतना मोटा नहीं होना है.”

पश्चिमी लंदन के सेंट मैरी अस्पताल में काम करने वाली समांथा शॉल्ट्ज का कहना है कि शरीर में जरूरत से ज्यादा चमडी़ कई मरीजों के लिए अहम मसला है.

वो कहती हैं, ”ये ऐसा मसला है जिसके बारे में ज्यादा बात नहीं की जाती. जब मरीज सर्जरी के लिए जाते हैं तो उन्हें ही कई बाते नहीं मालूम होतीं. " वो कहती हैं,“ये निश्चित रूप से जीवन की गुणवत्ता, खुद के बारे में धारणमा और रिश्ते बनाने की योग्यता को प्रभावित करती है”

शॉल्ट्ज कहती हैं कि वो मैसों के बारे में कोई निजी टिप्पणी नहीं करना चाहती हैं लेकिन अगर उन मरीजों को जिकनी चमड़ी फटती है, उन्हें दो सालों तक इलाज के लिए इंतजार करवाया जाता है तो ये “अन्याय” है

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