- केजीएमयू में बड़ा हादसा टला, आग पर काबू पाने में डेढ़ घंटे लगे

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग में शुक्रवार दोपहर पैथोलॉजी में अचानक भीषण आग लगने से हड़कंप मच गया। जिसके कारण विभाग में जांच नहीं हो सकी और लगभग साढ़े पांच हजार सैंपल खराब हो गए। लगभग एक बजे लगी आग के कारण पूरा पैथोलॉजी विभाग खाली लिया गया। मौके पर पहुंची चार फायर टेंडर्स ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद भीषण आग पर काबू पाया।

निकाले ही नहीं जा सके सैंपल

केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग में ही पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, वायरोलॉजी सहित तमाम प्रकार की जांचें होती हैं। आग लगने तक पैथोलॉजी में साढ़े पांच हजार से अधिक सैंपल समय से जांच न हो पाने और बिजली कटने के कारण खराब हो गए। ये सभी सैंपल विभिन्न विभागों में भर्ती मरीजों के हैं। हालांकि, केजीएमयू प्रशासन दावा करता रहा कि सैंपल ट्रॉमा भेज दिए जाएंगे। ये सैंपल शाम 5 बजे तक निकाले नहीं जा सके थे। यही नहीं ये वे सैंपल हैं, जिनकी जांच ओपीडी और ट्रॉमा में नहीं हो पाती। आग लगने के बाद बड़ी संख्या में तीमारदार अपनी रिपोर्ट के लिए भटकते नजर आए।

स्टोर रूम में लगी आग

पैथोलॉजी विभाग के बेसमेंट में बने स्टोर में दोपहर बाद लगभग सवा एक बजे अचानक धुआं उठता दिखाई दिया। नीचे बनी माइक्रोबायोलॉजी लैब के सामने स्टोर रूम में लगी आग से धुआं उठता दिखा तो जूनियर लैब असिस्टेंट केके वर्मा ने अपने सीनियर को जानकारी दी। जिसके बाद बाद पूरी बिल्डिंग खाली कराते हुए एचओडी ने फायर बिग्रेड व केजीएमयू प्रशासन को सूचना दी।

डॉक्टर्स-कर्मचारियों में दहशत

बेसमेंट में बजे ओल्ड फर्नीचर, मशीनों के बॉक्स की लकड़ी औन अन्य पुराना सामान इस स्टोर रूम में रूखा हुआ था। जो कि कई महीनों से बंद पड़ा था। इसी के एक तरफ कुछ डॉक्टर्स के केबिन ओर मेन स्टोर था और दूसरी तरफ माइक्रोलॉजी की लैबोरेटरी में जांचें चल रही थीं। आग की जानकारी मिलते ही सभी डॉक्टर और कर्मचारी आनन-फानन बाहर भागे। फायर विभाग के कर्मचारी अंदर गए। अंदर कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था और धुएं के कारण खड़े होना भी मुश्किल हो रहा था। फायर कर्मचारी खिड़कियां तोड़कर अंदर गए। लगभग डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका।

हो सकता था बड़ा हादसा

जिस जगह पर शार्ट सर्किट से आग लगी उसी के बगल में मेन स्टोर में बड़ी मात्रा में फार्मालीन, जाइलीन, क्लोरोफार्म, जैसे खतरनाक केमिकल रखे थे। जो काफी ज्वलनशील हैं, अगर यहां तक आग पहुंचती तो बड़ा हादसा हो सकता था। गनीमत यह थी कि स्टोर रूम या टीचर्स के केबिन में उस समय कोई नहीं था। स्टोर इंचार्ज भी बाहर थे। अन्यथा उनका निकल पाना मुश्किल था। क्योंकि, जिधर से होकर रास्ता बाहर जीने की ओर जाता हैं वहीं पर आग लगी थी। धुएं के कारण दम घुटने का खतरा हो सकता था।

समय से जानकारी मिलने के बाद कुछ ही समय में आग पर काबू पा लिया गया। इलेक्ट्रिक सप्लाई रीस्टोर कर ली गई और शनिवार से सभी मरीजों की जांच की जाएगी।

प्रो। आशुतोष कुमार, एचओडी पैथोलॉजी विभाग, केजीएमयू