BARILLY : कार में सवार थे

एसपी सिटी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि थर्सडे सुबह एसआई सैय्यद अनवर अली अय्यूब खां चौराहे के पास गश्त पर थे. उन्हें इस गैंग के बारे में सूचना मिली. टीम ने छापा मारा तो बोलेरो में कुछ लोग युवकों को डॉक्यूमेंट दे रहे थे. चार युवकों को मौके से अरेस्ट कर लिया गया. इनकी पहचान धौलपुर राजस्थान निवासी अजयपाल व दारा सिंह, आगरा निवासी नवल सिंह व सुरेंद्र सिंह के रूप में हुई है. साथ ही धौलपुर का ही ड्राइवर रफीक पकड़ा गया. रफीक ने बताया कि सुरेंद्र ने फोन पर बरेली के लिए बोलेरो की 4 हजार रुपये में बुकिंग की थी.

अधिकारियों के स्टैंप मिले

गैंग का सरगना सुरेंद्र सिंह भी धौलपुर का ही है. वह भाग निकला. उसने ही सभी को सेना में फर्जी डॉक्यूमेंट्स से भर्ती कराने का वादा किया था. उनके पास से 60 अलग-अलग युवकों के फोटोग्राफ, एसडीएम, तहसीलदार, आर्मी रिक्रूटमेंट ऑफिसर, सेना के एआरओ, प्रधान व अन्य ऑफिसर्स के 12 स्टैंप और 50-60 फर्जी मार्कशीट, सर्टिफिकेट, निवास प्रमाण पत्र, भर्ती लेटर के डॉक्यूमेंट्स बरामद हुए हैं. पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ कोतवाली में आईपीसी की धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत एफआईआर दर्ज की है.

राजस्थान से operate होता था racket

फर्जी तरीके से भर्ती कराने वाला रैकेट राजस्थान के धौलपुर डिस्ट्रिक्ट से ऑपरेट होता था. गैंग लीडर सुरेंद्र आर्मी में जहां भर्ती होती, वहां के लिए कैंडीडेट्स को तैयार करता. उन्हें फेक डाक्यूमेंट्स अवेलेबल कराता. इसके लिए वह हर कैंडीडेट से 2 लाख रुपए लेता था.

कोई 10वीं तो कोई graduate

पकड़े गए कैंडीडेट्स ने बताया कि उनका फैमिली बैकग्राउंड ठीक नहीं है. इसीलिए उन्होंने सेना में भर्ती के लिए सुरेंद्र से संपर्क किया. अजयपाल ने बताया कि वह 10वीं तक पढ़ा है. उसके राजस्थान के डॉक्यूमेंट असली हैं. वहीं नवल सिंह के मुताबिक, उसने फिरोजाबाद से 12वीं तक पढ़ाई की है. उसके पेरेंट्स की डेथ हो चुकी है. वहीं दारा सिंह क्लर्क की पोस्ट पर भर्ती के लिए आया था. उसने भी लास्ट ईयर ग्रेजुएशन किया है. सुरेंद्र सिंह भी 10वीं तक पढ़ा है और उसके घर के हालात भी ठीक नहीं हैं.

2 लाख में भर्ती

दारा सिंह व अजयपाल का कहना है कि सुरेंद्र ने बरेली में भर्ती की बात बताई और हरदोई के डॉक्यूमेंट्स बनवाकर भर्ती कराने का प्रॉमिस किया. इसके लिए उन्हें 2 लाख रुपए देने थे. 10 हजार तो एडवांस दिए थे. सुरेंद्र व नवल ने बताया कि गांव के एक लड़के ने सुरेंद्र से मुलाकात कराई थी.

all india रखता था नजर

शुरुआती जांच में पता चला है कि सुरेंद्र सिंह धौलपुर से ही गैंग ऑपरेट करता था. वह देश के किसी भी कोने में होने वाली सेना भर्ती की जानकारी रखता था. इसलिए पहले ही दिन उसने हरदोई डिस्ट्रिक्ट के फेक डॉक्यूमेंट्स प्रिपेयर कर कैंडीडेट्स को भर्ती कराने की पूरी तैयारी कर रखी थी.

तैयार करता documents

सुरेंद्र फेक डॉक्यूमेंट्स आसानी से तैयार करा लेता था. जिस डिस्ट्रिक्ट की भर्ती होती, वह वहां की तहसील से बनने वाले डॉक्यूमेंट्स के प्रोफार्मा रखता था. कंप्यूटर से डोमिसाइल सर्टिफिकेट और मार्कशीट में छेड़छाड़ कर प्रिंट निकलवा लेता. डॉक्यूमेंट्स भी ऐसे कि सेना भर्ती में शामिल अधिकारी और कर्मचारी तक पहचान नहीं पाते.

कहीं बरेली से तो link नहीं

सेना में फर्जी भर्ती कराने वाला गैंग तो पकड़ा गया पर पुलिस इसकी तह तक जाना चाहती है. एसपी सिटी ने बताया कि शहर से इसके तार जुड़े हो सकते हैं. पॉसिबल है कि मोहर व डॉक्यूमेंट्स बरेली में ही तैयार किए गए हों. दो टीमें बरेली में स्टैंप बनाने वालों की धरपकड़ के लिए लगाई गई हैं.

सभी की मोहर थीं तैयार

सेना के ऑफिसर्स को डाउट न हो इसके लिए भी सुरेंद्र ने पूरी तैयारी कर रखी थी. उसने आर्मी के आर्मी रिक्रूटमेंट ऑफिसर, असिस्टेंट आर्मी रिक्रूटमेंट ऑफिसर फस्र्ट से लेकर फोर्थ तक की मोहर तैयार करा रखी थीं. ये मोहर डेट वाइज तैयार की गई थीं. इसके अलावा जिस डिस्ट्रिक्ट की भर्ती थी, वहां के एसडीएम, तहसीलदार, लेखपाल व प्रधान की भी मोहर बनवा रखी थीं. पुलिस को जो मोहर मिली हैं, उनमें हरदोई के सवायजपुर तहसील के एसडीएम की मोहर भी शामिल है.