950 करोड़ के घोटाले में आज सीबीआइ की कोर्ट में निर्णय, 21 वर्ष से चल रही सुनवाई

 

लालू शुक्रवार को ही रांची पहुंच चुके हैं। उनके साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी हैं। पिछले 21 वर्ष से चल रही सुनवाई की लंबी प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 8 मई को सख्ती बरतते हुए 9 महीने के अंदर ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद हर सप्ताह सुनवाई की गई। सीबीआइ की मानें तो उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि तत्कालीन सीएम को अवैध निकासी की पूरी जानकारी थी। कई अवसर पर उन्होंने वित्त विभाग के प्रभारी मंत्री के रूप में राशि निकासी की अनुमति दी थी।

 

एससी ने दी थी अनुमति

झारखंड हाईकोर्ट ने नवंबर 2014 में लालू को राहत देते हुए घोटाले की साजिश रचने और ठगी के आरोप हटा दिए थे। फैसले में कहा गया था कि एक ही अपराध के लिए किसी व्यक्ति को दो बार सजा नहीं दी जा सकती। जिसे सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए लालू पर आपराधिक केस चलाने की अनुमति दी थी। साथ ही नौ महीने के अंदर सुनवाई पूरी करने का आदेश भी दिया था।

 

नहीं टेकेंगे घुटना : लालू यादव

एक दिन पहले राजद अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। मेरे समर्थक जानते हैं कि लालू को साजिश के तहत फंसाया गया है। मुझे जेल जाना कबूल है, लेकिन राजनीतिक विरोधियों के आगे घुटने टेकना नहीं। रांची रवाना होने के पहले लालू ने कहा कि बीजेपी के सामने घुटने टेककर अपने परिवार को परेशान होने से बचा सकता था, लेकिन दूसरी मिट्टी का बना हूं। हार नहीं मानूंगा। हर साजिश और मुसीबत का डटकर मुकाबला करूंगा। शनिवार के फैसले पर लालू कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

हो सकती है 7 साल की सजा

मामले को देखते हुए कहा जा रहा है कि लालू को सात साल कैद की सजा हो सकती है। तीन साल से कम की सजा पर लालू के लिए जमानत लेना आसान हो सकता है, लेकिन तीन साल से अधिक की सजा होने पर जमानत लेने में परेशानी हो सकती है।

 

कौन-कौन हैं आरोपी

लालू प्रसाद, डॉ जगन्नाथ मिश्र, पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद आरके राणा, पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद के साथ कई आईएएस एवं अन्य अधिकारी शामिल हैं।