बिना वीटो के गवर्नर
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस ड्रॉफ्ट नोट में जो सुझाव दिए गए हैं उससे आरबीआई गवर्नर के कई अधिकार छिन जाएंगे। प्रस्ताव के मुताबिक, कमेटी में सरकार के 4 सदस्य और आरबीआई के 3 सदस्य होंगे। आरबीआई के गवर्नर इस कमेटी की अध्यक्षता करेंगे लेकिन उनके पास वीटो पावर नहीं होगा। ऐसे में मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी का फैसला RBI को मानना होगा और यह फैसला बहुमत के आधार पर लिया जाएगा। टाई होने की स्थिति में RBI के गवर्नर को कास्टिंग वोट का अधिकार मिलेगा।

कमेटी क्या-क्या करेगी काम

मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी RBI का बेंचमार्क इंट्रेस्ट रेट तय करेगी और साथ ही इंफ्लेशन के टारगेट भी तय करेगी। मौजूदा सिस्टम में आरबीआई गवनर्र के पास एक टेक्िनकल एडवाइजरी कमेटी है जो मॉनिटरी पॉलिसी पर सलाह देती है लेकिन वह कमेटी के विचारों को स्वीकार भी कर सकते हैं और खारिज भी। हालांकि शुरुआत में एक प्रस्ताव को लेकर काफी विवाद हुआ था। जिसमें कहा गया था कि सरकार मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी में अपने सदस्यों की मेजॉरिटी नियुक्त करेगी।

राजन को नहीं चाहिए वीटो

वैसे सरकार ने अभी सिर्फ प्रस्ताव रखा है लेकिन उससे पहले ही RBI गवर्नर रघुराम राजन वीटो पॉवर वापस लेने के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि अहम दरों के बारे में फैसला लेने का काम एक व्यक्ित नहीं ले सकता। उसे कमेटी को ही सौंप देना चाहिए। इसके अलावा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के गठन को लेकर सरकार और RBI के बीच एकमत है।

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