शसन ने दिखाई हरी झंडी

अयोध्या के नवनिर्मित अंतरराष्ट्रीय रामकथा केंद्र में भगवान राम के साथ ही गुमनामी बाबा भी आकर्षण का केंद्र होंगे. यहां पर गुमनामी बाबा से जुड़ी करीब 2600 वस्तुएं दर्शकों को नेताजी सुभाषचंद्र बोस का आभास कराएंगी. एक तरफ राम की जीवनगाथा होगी, तो दूसरी तरफ गुमनामी बाबा का रहस्य लोगों को रोमांचित करेगा. हाई कोर्ट के आदेश पर इसके लिए शासन की हरी झंडी मिल गई है.

रहस्य से जुड़ी होगी हर चीज

अंतरराष्ट्रीय राम कथा केंद्र करीब 12 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुआ है. पहले चरण में यहां राम से जुड़ी चित्र कथाएं सजाई जाएंगी. इसी के साथ गुमनामी बाबा से जुड़ी वस्तुएं नेताजी सुभाषचंद्र बोस की यादें ताजा कराएंगी. गुमनामी बाबा से जुड़ी वस्तुएं कोषागार में रखी हैं. इसमें उनका चश्मा, घड़ी, चप्पल, जूते, रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं, देश-विदेश से आए टेलीग्राम, अंग्रेजी व बांग्ला भाषा के अखबार, शंख व अन्य सामान शामिल हैं. सुभाष चंद्र बोस विचार मंच का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे. उन्होंने कई वर्ष अयोध्या के एक मंदिर में बिताये थे. मंच के मुताबिक 1985 में उनका निधन हो गया था.

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