जवाब में पीएमओ ने की पहल

छात्रा ने मोदी को पत्र में लिखा था, 'मेरे गांव का नाम 'गंदा' है।  किसी को बताने में शर्म आती है।  लोग हमारे गांव का नाम लेकर बेइज्जत करते हैं।  मेरी इसका नाम बदलने की गुजारिश है। ' सातवीं कक्षा में पढऩे वाली हरप्रीत के इस प्रयास से पूरा गांव खुश है।  गांव वालों का कहना है कि पिछले 27 साल में जो नहीं हो सका, आज इस बच्ची ने वो कर दिखाया।  

उपलब्धि: छात्रा की अपील पर मोदी सरकार ने की कार्रवाई

अब अजीत नगर हुआ गांव का नाम

गांव 'गंदा' की पंचायत ने 4 मार्च, 1989 को गांव का नाम बदलकर 'अजीत नगर' करने की सिफारिश की थी, लेकिन राजस्व विभाव और प्रशासन की अन्य औपचारिकताओं के पूरे न होने के कारण यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।  हरप्रीत ने पत्र में गांव का नाम बदलने की गुजारिश तो की ही, साथ ही उसने गांव की अन्य समस्याओं से भी अवगत कराया।  उसने पत्र में स्कूल की चारदीवारी न होने और आवारा पशुओं व आवारा लोग के घुस जाने की शिकायत की। अब हरप्रीत खुश है कि उसे अब अपने गांव का नाम बताने में शर्म महसूस नहीं होगी।

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