ऐसा कहते हैं पंचांग
कुछ पंचांगों में होलिका दहन 22 मार्च को दिखाया गया है। वहीं इस तारीख को आखिरकार शास्त्रमत नहीं बताया गया है। इसका कारण बताया गया है कि होलिकादहन भद्रारहित प्रदोषव्यापिनी फागुन पुर्णिमा में ही किया जाता है। ऐसे में 22 मार्च को होलिका दहन करना कैसे अच्छा होगा।
ऐसे लगेगी भद्रा
बताया गया है कि 22 मार्च को भद्रा यानी विशिष्टिकरण दोपहर 15 बजकर 14 मिनट पर लगेगी। ये दूसरे दिन 16 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। इसी तरह से पूर्णिमा भी 22 मार्च को 15 बजकर 14 मिनट से लगकर दूसरे दिन 17 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। इसके बीच में भद्रा भी 16 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। ये समय होलिकादहन के लिए शास्त्रसम्मत नहीं है।
24 मार्च को होगी धुलेंडी
कुल मिलाकर शास्त्रसम्मत होलिकादहन 23 मार्च को होना है। इसके बाद ही 24 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी। यानी धुलेंडी मनाई जाएगी। ये पूरी तरह से शास्त्रसम्मत सिद्ध होगा। इसके बाद आप जी भर के अपनों के साथ रंगों के त्योहार को एंज्वाय कर सकेंगे। होली खेल सकेंगे।
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