इसलिए बसंत पंचमी को होती है मां सरस्वती की पूजा
बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। पीले वस्त्र पहनकर मां सरस्वती का ध्यान करते हैं। उनकी अराधना करते हैं। मान्यता है कि इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने जब मानव की रचना की थी तो उसके बाद भी उन्हें अपनी रचनाओं में कुछ कमी अखर रही थी। तभी विष्णु जी उन्हें सलाह दी की वो अपने कमण्डल से जल छिड़कें, जिसके बाद ब्रह्मा जी ने ठीक वैसा ही किया। जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा। जिससे एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुईं। शक्ति का रूप काफी मोहक और सुंदर था। 

 

 

 

वीणा ने दिया मनुष्यों को आवाज का वरदान
माता के एक हाथ में वीणा और दूसरे में पुस्तक थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा बजाना शुरू किया पूरे संसार में एक मधुर ध्वनि फैल गई। संसार के सभी जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। तब ब्रह्मा जी उन्हें वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। मां सरस्वती बुद्दि, ज्ञान, शक्ति, कला और संगीत की देवी हैं। माता सरस्वती के आर्शीवाद के बिना कोई भी इंसान प्रगति-पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है और उनसे विद्या और बुद्धि का वरदान मांगा जाता है।

 

ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
देवी भागवत में मां सरस्वती की पूजा का विधान विस्तार से बताया गया है। इसके अनुसार मां सरस्वती की पूजा सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। सुबह फ्रेश होकर मां सरस्वती का ध्यान करके उनकी तस्वीर स्थापित करें। फिर कलश स्थापित करके भगवान गणेश और नवग्रहों की विधि-विधान से पूजा करें। मां सरस्वती की पूजा की शुरुआत में उन्हें स्नान कराएं। फिर उन्हें सिन्दूर और अन्य श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें फिर फूल माला चढ़ाएं। इसके बाद मीठे का भोग लगाकर मां सरस्वती कवच का पाठ करें। मां सरस्वती के इस मन्त्र 'श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा' का जाप करने से आपको पुण्य फल मिलता है और ज्ञान यशोबल की प्राप्ति होती है।


 

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