ऐसी है जानकारी
इसको लेकर तस्लीमा ने कहा कि वह अगर लिखना बंद कर देंगी तो इसका मतलब होगा कि सामने वाले जीत गए और वह हार गई हैं। यहां याद दिलाना जरूरी होगा कि तस्लीमा को मुस्लिम कट्टरपंथियों के उनके खिलाफ फतवा जारी करने के बाद 1994 में बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था।

एक नजर पीछे भी
इतना ही नहीं लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कर्नाटक के एक स्थानीय अखबार में बुर्के पर अपने लिखे लेख के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन का हवाला देते हुए कहा कि जानबूझ कर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उनका ऐसा कोई भी मतलब नहीं था, जैसा कि लोगों ने निकाल लिया है।

लेख के दुरुपयोग पर दिया जोर
इसके साथ ही उनके लेख का दुरुपयोग करके समाज में उथल-पुथल मचाने की कोशिश होगी। इसके आगे उन्होंने यह भी कहा कि उनका लोकतंत्र पर आधुनिकीकरण का असर है। इसके तहत कोई भी कट्टरपंथी ताकत को मुख्य भूमिका में आने नहीं दिया जाएगा।

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