मिलकर मनाते खुशियां
राजस्थान के जैसलमेर के पास एक गांव है बाड़मेर जो अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। आपने एक कविता की पंक्ति हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई सब आपस में भाई-भाई कई बार सुनी होगी। इसी लाइन को जहन में रखकर बाड़मेर गांव के लोगों ने एक बेमिसाल उदाहरण पेश कर रखा है। यहां पर हिंदू मुस्लमानों के साथ मिलकर रमजान में रोजे रखते हैं और 5 वक्त की नमाज अदा करते है। वहीं मुस्लमान हिंदुओं के साथ मिलकर दिवाली का त्योहार मनाते हैं, गणेश उत्सव में भगवान गणेश की पुजा करते है हैं और कई भजन भी गाते हैं।
बंटवारे की है बात
भारत-पाक का जब बंटवारा हुआ था तब कई हिंद और मुस्लिम परिवार पाकिस्तान के सिंध राज्य को छोड़कर यहां आकर रहने लगे थे और फिर यहीं हमेशा के लिए यहीं बस गए। तब से लेकर आजतक ये दोनों समुदाय ऐसे ही सौहादपूर्ण तरीकें से रहते हैं और एक-दूसरें के त्योहारों को कड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं।
एक जैसे हैं दिखते
इन सबकी जीवन शैली और पहनावे को देखकर कोई भी इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाएगा कि यहां कौन हिंदू है और कौन मुस्लमान। ये दोनों समुदाय हमेशा आपस में मिल जुल के ही रहते हैं। उनका कहना है कि वो एक-दूसरे के धर्म को मान-सम्मान और प्यार व्यक्त करने के लिए इस अनूठे रिवाज को निभाते हैं। अब इस गांव के लोगों की ये परंपरा देखकर हम कह सकते है कि इन्होंने भाईचारे की एक अलग ही मिसाल कायम की है।
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