- हर लोकसभा चुनावों में बढ़ रही है राजनितिक दलों की संख्या

- 2009 के चुनाव में आई थी सबसे अधिक 364 राजनीतिक दल

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Meerut : देश में जब से चुनाव हो रहे हैं, तब से अब तक कई राजनीतिक दल अस्तित्व में आ चुके हैं। कोई अपनी महत्वकांक्षा को पूरी करने को दल बनाता है तो कोई बड़ी पार्टी से नाराज होकर नई पार्टी को जन्म देता है। कई तो ऐसे हुए जिन्होंने अपने आपको पार्टी से बड़ा मानकर अलग पार्टी ही बना डाली। खैर बात कुछ भी हो आजादी से पहले से ही पार्टियों का अपना महत्व रहा है। हद तो तब हो गई जब ख्009 के आम चुनाव में सारे रिकॉर्ड ही टूट गए थे। फ्00 से ज्यादा दलों ने चुनावों में पार्टीसिपेट किया था। इस बार ये संख्या और भी आगे जा सकती है।

भ्ख् में में आई थीं राष्ट्रीय पार्टियां

भारत की आजादी के बाद क्9भ्ख् में देश में पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ। जनता को अपना सांसद और प्रधानमंत्री चुनने का मौका मिला। पहला मौका था इसलिए ऑल इंडिया भारतीय जन संघ, बोल्सेविक पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, फॉरवर्ड ब्लॉक मा‌िर्क्सस्ट ग्रुप, फॉरवर्ड ब्लॉक रैकर ग्रुप, अखिल भारतीय हिंदू महासभा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, कृषिकर लोक पार्टी, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, रिवोल्यूशनरी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय राम राज्य परिषद, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया शिड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन, सोशलिस्ट पार्टी समेत कुल क्ब् राष्ट्रीय पर्टियां अस्तित्व में आई। ब्0 स्टेट लेवल की पार्टियां भी मैदान में थीं। लेकिन भ्ख् में हुए चुनाव में जनाधार सामने आने के बाद जब भ्7 में फिर चुनाव हुआ तो राष्ट्रीय और स्टेट लेवल पार्टियों की संख्या घट गई। भ्7 में केवल ब् नेशनल पार्टी और क्क् प्रदेश स्तर की पार्टियां मैदान में थीं। क्9भ्7 से लेकर म्7 तक पार्टियों की संख्या स्थिर रही। पार्टियों में बिखराव थमा रहा। क्97क् तक तो राजनीतिक दलों की संख्या में स्थिरता बनी रही। लेकिन 7क् में जब लोकसभा चुनाव हुआ तो फिर अचानक चुनाव में कई नेशनल व स्टेट लेवल पार्टियों के साथ ही कई रजिस्टर्ड लोकल पार्टियां भी मैदान में आई। इन लोकल पार्टियों का जन्म बड़े दलों में बिखराव होने और बड़े नेताओं के अलग होने से हुआ। कुछ लोगों में राजनीतिक महत्वाकांक्षा बढ़ी, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी पार्टी बना ली।

ख्009 में सबसे अधिक रजिस्टर्ड पार्टी

इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों की मानें तो क्97क् में जहां पूरे देश में रजिस्टर्ड पार्टियों की संख्या केवल ख्8 थी, वहीं 89 में 8भ्, क्99म् में क्79, क्998 में क्फ्9, ख्00ब् में क्7फ् तो वहीं ख्009 में सबसे अधिक फ्ख्ख् रजिस्टर्ड पार्टियों ने लोकसभा चुनाव में भागीदारी की। पार्टियों की लगातार बढ़ रही संख्या यह बता रही है कि नेशनल पार्टियों के वोट बैंक में जहां सेंध लग रही है, वहीं वोटों का जबर्दस्त बंटवारा हो रहा है।

तो और भी पैदा होंगे दल

जिस तरह से बिखराव की राजनीति चल रही है। उससे यही लग रहा है कि इस साल ख्0क्ब् के लोकसभा चुनाव में ख्009 का रिकॉर्ड टूटेगा। इस साल पार्टियों की संख्या और बढ़ सकती है।

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क्9भ्क् से ख्009 तक चुनाव में उतरने वाले पॉलीटिकल पार्टी

वर्ष नेशनल पार्टी स्टेट पार्टी रजिस्टर्ड पार्टी कुल

क्9भ्क् क्ब् ब्0 0 भ्ब्

क्9भ्7 ब् क्क् 0 क्भ्

क्9म्ख् म् ख्क् 0 ख्म्

क्9म्7 7 क्ब् ब् ख्भ्

क्97क् 8 क्7 ख्8 भ्फ्

क्977 भ् क्भ् क्ब् फ्ब्

क्980 म् क्9 क्क् फ्म्

क्98ब् 7 क्7 9 फ्फ्

क्989 8 ख्0 8ब् क्क्ख्

क्99क् 9 ख्7 म्7 क्0फ्

क्99म् 8 फ्0 क्79 ख्क्7

क्998 7 फ्0 क्फ्9 क्7म्

क्999 7 ब्0 क्ख्फ् क्70

ख्00ब् म् भ्क् क्7फ् ख्फ्0

ख्009 7 फ्ब् फ्ख्ख् फ्म्फ्

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तो मेरठ में राष्ट्रीय पार्टियों से ज्यादा थे क्षेत्रीय दल

अगर बात मेरठ-हापुड़ लोकसभा पार्टी की करें तो वर्ष ख्009 में लोकल पार्टियों का दबदबा ज्यादा था। क्षेत्रीय दलों की संख्या 8 थी। जिनमें समाजवादी पार्टी के अलावा अखिल भारतीय लोकतंत्र पार्टी, इंडियन जस्टिस पार्टी, अखिल भारत हिंदू महासभा, समाजवादी जनता पार्टी, राष्ट्रवादी सेना आदि शामिल हैं। वहीं राष्ट्रीय पार्टियों की संख्या की बात करें तो सिर्फ भ् पार्टियों के नाम गिनाए जा सकते हैं। जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या की क्म् के आसपास थी।

मेरा मानना है देश में जितनी कम पार्टी होंगी उतना बेहतर देश विकास की ओर आगे बढ़ सकता है। क्योंकि छोटी पार्टियों की आइडियलॉजिकली काफी कमजोर होती है। खासकर कई लोग अपनी महत्वकांक्षा के कारण पैदा होती हैं। अगर मैं इस बार की बात करूं तो इस बार भी कई पार्टियों का उदय हो सकता है।

- प्रो। अर्चना शर्मा, पॉलीटिकल साइंस, सीसीएसयू