यह परीक्षण सेना की प्रशिक्षण कार्रवाई का एक हिस्सा है. परीक्षण सुबह दस बजकर पांच मिनट पर किया गया.

सतह से सतह पर 350 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम यह  मिसाइल अपने साथ परमाणु हथियार ले जा सकती है. यह एक हज़ार किलो तक वजन ले जा सकती है.

नौ मीटर लंबी यह  मिसाइल में तरल ईंधन से संचालित है. पिछली बार इसी साल सात अक्तूबर को इसका परीक्षण हुआ था.

'सफल परीक्षण'

आईटीआर के निदेशक एमवीकेवी प्रसाद ने परीक्षण को पूरी तरह सफल बताते हुए कहा कि  परीक्षण सभी मानकों पर खरा उतरा.

इसके परीक्षण के काम विशेष तौर पर बनाई गई सामरिक कमान बल (एसएफसी) ने अंजाम दिया और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने इस पूरी प्रक्रिया नज़र रखी.

उन्होंने कहा, ''मिसाइल के प्रक्षेपण पक्ष पर डीआरडीओ के रडारों, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और ओडिशा के टत पर स्थित टेलीमेट्री स्टेशन से नजर रखी गई. "

सामरिक कमान बल में 2003 में शामिल की गई पृथ्वी  मिसाइल को डीआरडीओ ने भारत के महत्वाकांक्षी एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है.

एक रक्षा अधिकारी ने बताया कि अब यह मिसाइल तकनीकी रूप से सिद्ध हो गई है.

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