- डीजल-पेट्रोल के दाम घटने के बावजूद पब्लिक को नहीं मिली महंगाई से राहत

- आई नेक्स्ट की परिचर्चा में बोले लोग, शासन और प्रशासन को करना चाहिए हस्तक्षेप

<- डीजल-पेट्रोल के दाम घटने के बावजूद पब्लिक को नहीं मिली महंगाई से राहत

- आई नेक्स्ट की परिचर्चा में बोले लोग, शासन और प्रशासन को करना चाहिए हस्तक्षेप

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ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: केंद्र सरकार ने अपना काम कर दिया. डीजल और पेट्रोल के दाम घट गए. कायदे से पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन और माल भाड़े में कमी आ जानी चाहिए, ताकि पब्लिक को महंगाई से राहत मिल जाए. लेकिन, ऐसा नहीं हो रहा है. बिचौलिए इसका फायदा पब्लिक तक पहुंचने नहीं दे रहे हैं. उनकी इस हरकत को शासन और प्रशासन भी अनदेखा कर रहा है. कायदे से उन्हें हस्तक्षेप कर पब्लिक को उसका हक दिलाना चाहिए. कैंपेन को लेकर आई नेक्स्ट द्वारा आयोजित परिचर्चा के दौरान शहर के गणमान्य नागरिकों ने इस प्रकार से अपनी बात रखी. उनका कहना था कि सिस्टम सुधार हुए बिना इन चीजों का हल निकलना मुश्किल है.

मीटिंग कर फिक्स करें

परिचर्चा में शामिल लोगों का कहना था कि केवल पेट्रोल-डीजल का रेट घटा देने से पब्लिक के बीच वाहवाही लूटने की आदत सरकारों को छोड़नी होगी. अगर दाम में कमी आई है तो इसका लाभ भी निचले तबके तक पहुंचना चाहिए. इसके लिए शासन और प्रशासन को पॉलिसी बनाकर ट्रांसपोर्टर्स, टैंपो-टैक्सी यूनियन और रोडवेज, रेलवे जैसे विभागों से बात करनी चाहिए. ऐसा नहीं होने से ही पब्लिक को महंगाई की मार खानी पड़ रही है.

फिर क्यों बढ़ा देते हैं रेट

आई नेक्स्ट की परिचर्चा में लायंस क्लब इलाहाबाद संगम के मेंबर, त्रिशूल डिफेंस एकेडमी, मदर्स प्राइड स्कूल समेत हाउस वाइफ, व्यापारी व समाज के कई तबकों से आए लोगों ने भाग लिया. सभी ने एक स्वर में कहा कि रेट घटाने के नाम पर अक्सर वित्तीय वर्ष शुरुआत यानी अप्रैल की बात की जाती है. लेकिन, यही सेक्टर कभी भी अचानक किराया बढ़ा देते हैं. उनका तर्क होता है कि डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ गए हैं. अब जब इनके दाम पांच महीनों में चार से आठ बार घट गए हैं तो कोई किराया घटाने का नाम नहीं ले रहा है.

सबने सराहा अभियान

परिचर्चा के दौरान शामिल लोगों ने आई नेक्स्ट के अभियान की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि यह काफी संवेदनशील मुद्दा है. अगर प्रशासन चाहे तो हस्तक्षेप करके पब्लिक ट्रांसपोर्टर्स की मनमानी पर लगाम लगा सकता है. इससे आम जनता को राहत मिलेगी.

किसने क्या कहा..

पब्लिक हमेशा से सिस्टम के आगे पिसती आई है. पेट्रोल हो या डीजल के दाम. इसके पहले दाम घटे लेकिन किराया नहीं घटा. इसके उलट जब-जब फ्यूल के दाम बढ़ते हैं, किराया जरूर बढ़ा दिया जाता है. पब्लिक को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए.

अनूप मेहरोत्रा, कोचिंग संचालक

सरकारी योजनाओं का उदाहरण ही ले लीजिए. इनको लांच करने के बाद ये इतने स्टेप में पब्लिक के पास आती हैं कि लाभ लेना मुश्किल हो जाता है. देश में बिचौलिया एक ऐसा शब्द है जो जनता को उसका हक नहीं लेने देता है. ऐसे लोग बीच में ही पूरा बेनिफिट ले लेते हैं.

पंकज महेश्वरी, मेंबर, लायंस क्लब

अगस्त के बाद से अभी तक चार बार डीजल व आठ बार पेट्रोल के दाम कम हुए हैं. कई सालों बाद दोनों के दामों में दस से बारह रुपए तक की कमी आई है. बावजूद इसके असली लाभ अभी तक पब्लिक तक नहीं पहुंचा है. ये कब मिलेगा किसी को नहीं पता.

आशीष अरोड़ा, व्यापारी

डीजल सस्ता होने के बाद भी ट्रांसपोर्टर्स ने माल भाड़े में कमी नहीं की है. सूरत, इंदौर, भोपाल आदि शहरों से आने वाली सब्जियों के रेट अभी भी आसमान छू रहे हैं. अगर माल भाड़ा कम हो जाए तो महंगाई काफी हद तक कम हो सकती है. अनाज भी सस्ता होगा.

दीपक दुग्गल, ऑटोमोबाइल व्यापारी

एक साल पहले शहर के टैंपो-टैक्सी वालों ने डीजल महंगा होने का बहाना बनाकर किराया बढ़ा दिया था. इसके बाद अब तक डीजल काफी सस्ता हो गया है तो वह रेट घटाने का नाम नहीं ले रहे हैं. पब्लिक अभी भी उनकी मनमानी का शिकार है.

नीलेश केसरवानी, व्यापारी

बच्चों को बस या टैंपो से स्कूल भेजने वाले पैरेंट्स से पूछिए कि उन्हें कितनी दिक्कतें होती हैं. स्कूल वाहन अपना किराया हर साल बढ़ा देते हैं. जबकि, इसे कम करने का नाम नहीं लिया जाता है. डीजल का रेट घटने से इस बार भी पब्लिक की सुनवाई नहीं हो रही है.

भरत हिरानी, व्यापारी

- गवर्नमेंट सोचती है कि डीजल व पेट्रोल का दाम घटाने से पब्लिक खुश हो जाएगी. ऐसा होता भी है लेकिन नेता ये नहीं सोचते कि इसका लाभ कितना प्राप्त हो रहा है. अगर गवर्नमेंट टैंपो यूनियन, ट्रांसपोर्टर्स और रोडवेज आदि से बात करे तो किराया घट सकता है.

कुंवर बीएम सिंह, रिटायर्ड नगर आयुक्त

- आई नेक्स्ट का अभियान बिल्कुल सही है. शहर के पेट्रोल पंपों में घटतौली के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं. लोगों से पूरा पैसे लेकर बदले में कम तेल नापा जाता है. मशीनों को सेट कर दिया जाता है. इसके खिलाफ कड़ा अभियान चलाया जाना चाहिए.

ईरा सेठी, प्रेसीडेंट, लायंस क्लब

- मेरा भी यही कहना है. मशीनों से पेट्रोल कम नापने के साथ जमकर मिलावट भी की जा रही है. पेट्रोल में मिलावट से वाहनों का इंजन खराब होने लगता है. इसके खिलाफ भी प्रॉपर जांच की जानी चाहिए. पब्लिक को चूना लगाने वालों को सजा मिलनी चाहिए.

प्रिया मेहरोत्रा, प्रिंसिपल, मदर्स प्राइड स्कूल

प्रॉफिट और लॉस के खेल में पब्लिक को हमेशा से पिसना पड़ा है. कुछ लोग अपने फायदे के लिए दूसरों का नुकसान करने से जरा भी नहीं चूकते हैं. पब्लिक ट्रांसपोर्टर्स के साथ भी ऐसा है. आई नेक्स्ट के अभियान में सही मुद्दे उठाए जा रहे हैं.

ऋषि सेठी, मंडल पीआरओ, लायंस क्लब

- कुछ दिनों पहले ही रोडवेज की ओर से एक पैसे प्रति किमी की दर से किराया घटाया गया है. इसके बदले में तीन पैसे पहले ही बढ़ाए गए थे. जिस दर से बढ़ाया था, उसी दर से घटाना भी चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. पब्लिक को ऐसे बेवकूफ बनाया जा रहा है.

भावना रावल, हाउस वाइफ

रोडवेज की तरह रेलवे ने भी महंगे डीजल की दुहाई देकर यात्री किराए क्ब्.ख् प्रतिशत सहित माल भाड़े में रेल बजट के दौरान बढ़ोतरी की थी. अब जब डीजल के दाम कम हो गए हैं तो रेलवे को किराए में कमी करने की याद नहीं आ रही है.

बलदेव, व्यापारी