-समय से पहले सड़ कर टूट रहे दूध के दांत
-नन-कंपनी एरिया के पानी में सही नहीं है फ्लोराइड की मात्रा
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JAMSHEDPUR : सिटी में रहने वाले मैक्सिमम लोग डेंटल कैरीज यानी दांतों की सड़न जैसी बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह है सही डायट का नहीं होना और नन-कंपनी एरिया के पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा का सही न होना। समय से पहले दांत निकलवाने का हेल्थ पर भी असर पड़ रहा है। हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा ड्रिंकिंग वाटर में फ्लोराइड की अवेलेबिलिटी की जांच नहीं करने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। सिटी में करीब 9भ् परसेंट लोगों को डेंटल कैरिज की प्रॉब्लम है। सिटी के डेंटिस्ट डॉ शादाब हसन ने कहा कि पिछले दो साल के रिसर्च के बाद ये बातें आयीं।
फ्लोराइड की मात्रा सही नहीं
डॉ शादाब ने बताया कि नन-कंपनी एरिया के मैक्सिमम लोग ही इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा मानगो, गोविंदपुर, बागबेड़ा और जुगसलाई के लोग जो पीने का पानी यूज करते हैं उसमें फ्लोराइड की सही मात्रा नहीं है।
सड़ रहे दूध के दांत
उन्होंने बताया कि आज के मैक्सिमम बच्चे फास्ट फूड के साथ ही बिस्किट, चॉकलेट, स्वीट्स का ज्यादा सेवन करते हैं। इस वजह से छह साल में टूटने वाले दूध के दांत पहले ही सड़ जाते हैं। डॉ शादाब हसन ने कहा कि पहले फल दांत से चबा कर खाते थे, लेकिन अब जूस पीना फैशन में शामिल हो गया है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और दांतों की सतह पर चिपकने वाले मेटेरियल की मात्रा ज्यादा होती है, जो दांतों के अपर लेयर पर छह से आठ घंटे चिपके रहते हैं। इससे बैक्टिरिया पैदा होते हैं और लैक्टिक एसिड का फॉर्मेशन करते हैं। इससे दांतों में सड़न पैदा होने लगती है।
एक नजर इधर भी
-क्0 लाख लीटर पानी में एक लीटर फ्लोराइड होना चाहिए।
-लोगों के घरों में पीने के पानी में यह मात्रा .7 से क्.ख् पीपीएम (पार्ट पर मीलियन) होनी चाहिए।
-फ्लोराइड की सही मात्रा से डेंटर कैरिज पर 70 परसेंट तक कंट्रोल किया जा सकता है।
-दांतों पर चिपके रहने वाले लिक्विड व फूड मेटेरियल से भी डेंटल कैरिज होता है।
ये हैं बचाव के उपाय
-दिन में हर बार खाने के बाद सादा पानी से कुल्ला करें।
-दिन में दो बार सही तरीके से ब्रश करें।
-हर महीने चार दिन क्लोरलेक्सडीन वाले माउथवॉश और चार दिन डेंटल फ्लश से दांतों की सफाई करें।
-खाने में विटामिन, मिनरल और कैल्सियम फूड प्रॉडक्ट्स का यूज करें।
सिटी में 9भ् परसेंट लोग डेंटल कैरिज की चपेट में हैं। पीने के पानी में फ्लोराइड की सही मात्रा से इससे बचाव हो सकता है। इसके लिए हेल्थ डिपार्टमेंट को समय-समय पर पानी में फ्लोराइड के मात्रा की जांच कर सार्वजनिक करना चाहिए।
-डॉ शादाब हसन, डेंटिस्ट, सहारा डेंटल