कैसा लगा जमशेदपुर?

बहुत अच्छा लगा। पहले भी आ चुकी हूं। यह मैट्रोपोलिटन कल्चर वाला शहर है। सभी धर्म व संस्कृति के मानने वाले लोग यहां रहते हैं। यहां के लोग कलाकारों का बहुत आदर करते हैं। इन्हें फोक म्यूजिक से बहुत प्यार है। झारखंड की कला-संस्कृति काफी समृद्ध है। यहां के कलाकार लोक कला के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रहे हैं। जमशेदपुर में मुझे भी बड़ा सम्मान मिला। जब भी मौके मिले मैं जमशेदपुर आना चाहूंगी।

म्यूजिक की ओर रूझान कैसे हुआ?

बचपन से गा रही हूं। मेरे माता-पिता ने मेरा रूझान देखा और मुझे काफी सपोर्ट किया। जब शादी हुई तो पति ने भी सपोर्ट किया। राहत अली, पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित बनारस घराने की गिरिजा देवी के सानिध्य में भी सीखने का मौका मिला। इसके बाद इसी में रम गई।

आपने फोक म्यूजिक को क्यों चुना?

मैंने फोक म्यूजिक को नहीं चुना। लोक संगीत ने मुझे चुना। इसमें जो मिठास है वो किसी में नहीं। फोक म्यूजिक का विस्तार उसकी गरिमा ने मुझे आकर्षित किया। भला मानुष जो सोचता है वही फोक म्यूजिक बयां करते हैं। एक-एक गाना पूरा युग है।

आपके पसंदीदा सिंगर्स कौन हैं?

वैसे तो इसकी लिस्ट बहुत लंबी है, लेकिन मैं कुछ चुनिंदा सिंगर्स के नाम बता रही हूं। इनमें मेहंदी हसन साहब, बेगम अख्तर, गिरिजा देवी, निर्मला देवी, लता मंगेशकर, किशोर कुमार, और मो। रफी।

आपकी आवाज इतनी मीठी है। इसे मेंटेन रखने के लिए आप क्या करती हैं?

कुछ नहीं करती, लेकिन हां जो गाती हूं उसको जीती हूं। मतलब यह कि जो भी गाती हूं, दिल से गाती हूं। सबसे बड़ी चीज है असर। हर इंसान की अलग आवाज है। मन से आवाज निकले वही काफी है। जब कोई सिंगर   किसी सिचुएशन को फील करते हुए गाता है तो उसकी आवाज में उसका असर दिखता है।

खाने में क्या पसंद है आपको?

सभी देसी खाना। शुद्ध शाकाहारी हूं। जलेबी, रबड़ी मलाई। हरी मटर छोंकी हुई, आलू की टिकिया आदि।

फ्यूचर में पॉलिटिक्स ज्वाइन करने का कोई इरादा है?

लोग मुझे अक्सर यह सवाल पूछते हैं। राजनीति अच्छी चीज है, लेकिन मेरा पॉलिटिक्स ज्वाइन करने का कोई इरादा नहीं है। अपनी पार्टी ज्वाइन करने के लिए करीब सभी पॉलिटिकल पार्टीज ने मुझे अप्रोच किया है।

अपने चाहने वालों से क्या कहना चाहेंगी?

लोक संगीत की सबसे बड़ी शक्ति है, इसमें नकारात्मकता नहीं होती। साफ-सुथरा हर तरह का संगीत सुनें। अपने एंटरटेनमेंट का 10-15 परसेंट समय फोक म्यूजिक सुनने में जरूर दें। जीवन के सभी रसों का आनंद लें। अपनी विरासत का दामन जरूर थामे रहें नहीं तो यह एक दिन खत्म हो जाएगी।

अब फोक म्यूजिक में भी वल्गेरिटी आ गई है, इसका जिम्मेदार किसे मानती हैं?

इसके लिए प्रोग्राम के आयोजक, आर्टिस्ट, म्यूजिक कंपनियां सभी जिम्मेदार हैं। आर्टिस्ट्स से मेरा कहना है कि चंद पैसों के लोभ में अपनी कला को गिरवी न करें। खुद की मेहनत के बलबूते मंजिल पाने की कोशिश करें।