छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : एमजीएम हॉस्पिटल की सेहत इन दिनों बिगड़ी हुई है। हॉस्पिटल में एक तरफ नई बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा है तो दूसरी तरफ पुरानी बिल्डिंग में सुविधाओं का खस्ताहाल है। हालत यह है कि मरीजों का टूटे बेड पर इलाज किया जा रहा है। बेड कब टूट जाएगी और मरीज जमीन पर गिर पड़ेगा, कहा नहीं जा सकता है। यहां न तो नए बेड लगाए जा रहे हैं और न ही पुराने व टूटे-फूटे बेड की मरम्मत हो रही है। सब कुछ जानते हुए भी एमजीएम एडमिनिस्ट्रेशन आंखें मूंदी हुई है। ऐसे में खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं।

नहीं बदला जा रहा बेड

एमजीएम के कमोबेश सभी वार्ड के बेड की स्थिति अच्छी नहीं है। अधिकांश बेड टूटे हुए हैं। कई बेड तो अंतिम सांस तक गिन रही है। इस मामले में सबसे खस्ताहाल आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट का है। यहां आनेवाले ज्यादातर मरीजों की हड्डी में दिक्कतें होती है। ऐसे में टूटे बेड से इन मरीजों को ही सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके अलावा मेडिसीन, गायनी, पेडियाट्रिक और जेनरल वार्ड में भी बेड की स्थिति अच्छी नहीं है।

मरीजों को हो रही परेशानी

एमजीएम में वार्डो की बेड की जर्जर हालत से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को हो रही है। मरीज भी टूटे बेड पर ही इलाज कराने को मजबूर हैं। इसकी वजहें भी हैं। एक तो यहां ज्यादातर मरीज रूरल एरियाज से आते हैं और इनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है। ये सिर्फ इलाज करने के मकसद से यहां आते हैं। बेड टूटे हैं या जर्जर हो चुके हैं, इससे उन्हें बहुत मतलब नहीं होता है। इतना ही नहीं, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन को भी बेड की जर्जर हालत से शायद कोई मतलब नही है, तभी तो बेड बदले नहीं जा रहे हैं।

डीएस डॉ एके सिंह से सीधी बात

सवाल: हास्पिटल में टूटे बेड पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है?

जवाब : हां, इसकी जानकारी मिली है, इसके लिए जल्दी ही टेंडर निकाला जाएगा। कुछ बेड मंगाए गए थे लेकिन क्वालिटी ठीक नहीं होने की वजह से नहीं लगाया गया।

सवाल : बेड बदलने की क्या प्रक्रिया है।

जवाब : इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई है। टेंडर होते ही जल्द ही नए बेड मंगाए जाएंगे और खराब और टूटे पड़े बेड बदले जाएंगे।