-एमएनपीएस कैंपस में शुरू हुआ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ

JAMSHEDPUR: उत्तर प्रदेश संघ की सांस्कृतिक समिति के तत्वावधान में मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल परिसर में शुरू हुए सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पहले दिन शुक्रवार को चित्रकूट से आए कथावाचक आचार्य राजकुमार बाजपेयी ने कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करें। अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्मकल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन और कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।

आध्यात्मिक विकास होता

आचार्य ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते थे, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान, वैराग्य कथा श्रवण से जागृत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। भागवत पुराण ¨हदुओं के क्8 पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवत भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। कथा के दौरान आरपी त्यागी, डॉ। डीपी शुक्ल, रामफल मिश्रा, एके पांडेय, केपी सिंह, बीएन दुबे सहित उत्तर प्रदेश संघ की कार्यकारिणी के तमाम सदस्य मौजूद थे।