छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : बाजार में बिकने वाला पीला आम भले ही आपको पसंद आए लेकिन ये आपकी सेहत को बिगाड़ सकता है। रिटेल मार्केट में आने से पहले गोदामों में इन आमों को कार्बाइड से पकाया जा रहा है। कई फल गोदामों में इस तरह से कच्चे आम, केला और पपीता पर काबाईइड से रिएक्शन कराया जाता है। साकची के राजेंद्रनगर के पास बने अस्थाई फल गोदाम, बिष्टुपर फल मार्केट सहित अन्य फल गोदामों में यह नजारा आपको देखने को मिल जाएगा। कार्बाइड से पके ये फल आपकी सेहत को बिगाड़ सकते हैं। कार्बाइड से फलों को पकाना प्रतिबंधित है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण पीला आम का काला कारोबार फल फूल रहा है।

ऐसे पकाया जाता है आम

पेटियों में कच्चे आम को रखने के दौरान कार्बाइड के छोटे-छोटे टुकड़े कर डाला जाता है। कुछ फल गोदामों में कच्चे आम के ढेर में ही कार्बाइड को रखा जाता है। चूना की तरह मटमैला सा दिखने वाला कार्बाइड के टुकड़ों को कागज में लपेट कर इस तरह रखा जाता है कि आमलोगों को इसका पता नहीं चले। इन गोदामों में बड़े आकार के कार्बाइड को कूच कर छोटे छोटे टुकड़े का रूप दिया जाता है। तोड़ने के दौरान इससे घातक गैस निकलती। गोदामों के आसपास से गुजरने पर भी कुछ अजीब तरह की गैस का एहसास होगा।

छह घंटे में पक जाता है आम

जानकारों की मानें तो फलों की नमी सोखकर कार्बाइड एसिटीलीन नामक गैस बनाता है। बाद में यह गैस एसिटलडिहाइड नामक गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है। कार्बाइड के संपर्क में आकर छह सात घंटों में फल पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाता है।

दिन के उजाले में होता है गोरखधंधा

गोदामों में कच्चे आम के ढेर के बीच कागज की छोटी छोटी पुडि़या बनाकर उसमें कार्बाइड रखा जाता है। कुछ फल गोदामों में पेटियों में आम रखते समय भी कार्बाइड को रखा जाता है। कार्बाइड के छोटे-छोटे टुकड़ों को कागज में लपेट कर इस तरह से रखा जाता है कि वह पता नहीं चलता। लेकिन इसके संपर्क में आने से फल 5 से 6 घंटे में पक जाते हैं। आम तौर कार्बाइड मिलाने का काम दोपहर में किया जाता है। इस समय फल की मंडियों में खरीददार कम होते हैं। मंडियों में फलों की खरीददारी ज्यादातर सुबह या शाम में होती है।

कार्बाइडयुक्त फलों से होने वाले नुकसान

डॉ निर्मल कुमार के अनुसार फल की नमी सोखकर कार्बाइड एसिटीलीन नामक गैस बनाता है। जो बाद में एसिटल्डिहाइड के रूप में बदल जाता है। इससे सिरदर्द, दिमाग और नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारियां हो सकती है। आम अगर कार्बाइड से पकाया गया है तो उसमें मौजूद विटामिन ए के लाभकारी गुण भी खत्म हो जाते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक इनसे बचने के लिए आम को प्राकृतिक तरीके से पकाना चाहिए।

आम पकाने के घरेलू तरीके

हाउस वाइव्स अर्चना मिश्रा का कहना है कि कच्चे आमों को घर पर पकाना बहुत आसान है। आम को साफ पानी से धो लें। फिर बड़े आकार के कागज में उन्हें अच्छी तरह से लपेटकर सामान्य तापमान पर किसी भी गत्ते के डिब्बे, बर्तन या जार में रख दें। 3 से 5 दिन में कच्चा आम पककर तैयार हो जाएगा। वह भी केमिकल का इस्तेमाल किए बिना। गांवों में आज भी चावल, गेंहू और भूसों के ढेर में दबाकर प्राकृतिक रूप से आम को पकाया जाता है।

पहचानें केमिकल वाले आम

राजभवन के उद्यान अधीक्षक अब्दुस सलाम का कहना है कि हर किस्म का आम अपनी खुशबू लिए होता है। लेकिन जबरदस्ती पकाए गए आम में खुशबू या तो होती नहीं है या बहुत कम होती है। आम की सुगंध से उसे पहचाना जा सकता है। प्राकृतिक तरीके से पकाए गए आम का छिलका तो पूरी तरह पीला होगा लेकिन अंदर से वह पूरी तरह से पका नहीं होगा। इस तरह से पके आम में सूखापन होगा और जूस भी कम होगा। अगर पीले आम में कहीं-कहीं हरे धब्बे नजर आएं तो समझ जाइए कि आम में घपला है।

फूड सेफ्टी को नहीं दिखा कार्बाइड से पके आम

सिटी के एक मॉल में पपीते में कीड़ा निकला। खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय को इसकी सूचना दी गई। उन्होंने स्पॉट का वेरिफिकेशन किया और फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट को अलर्ट किया। आनन फानन में फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने शहर के कई मॉल और दुकानों में छापेमारी कर डाली। तीन दिनों तक शहर में रांची से आए ऑफिसर्स ने कैंप किया। सैंपल लिया और चले गए। लेकिन बीते तीन दिनों में अधिकारियों को कार्बाइड से पकाया जाने वाला आम कहीं नहीं नजर नहीं आया।

वर्जन

ऐसी सूचना मिली है कि फल कारोबारी कार्बाइड से फलों को पका रहे हैं। फूड सेफ्टी एक्ट के तहत ऐसा करना कानूनी रूप से अपराध है। स्वास्थ्य विभाग का धावा दल जल्द ही ऐसे फल दुकानदारों को आइडेंटिफाई कर कार्रवाई करेगा। एसीएमओ को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है।

डॉ एसके झा

सिविल सर्जन, ईस्ट सिंहभूम