छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : किसी के घर में राशन नही तो किसी को अपने बच्चे की पढ़ाई जारी रखने में आफत आ रही है। पैसे के अभाव में एक-एक दिन गुजारना मुश्किल हो रहा है। मुख्यमंत्री से लेकर आला अधिकारियों तक गुहार लगाई, पर कोई सुनवाई नही हुई। महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज हॉस्पिटल में सुरक्षा में तैनात होमगार्ड के जवानों का कुछ ऐसा ही हाल है। हॉस्पिटल में तैनात 47 होमगा‌र्ड्स को पिछले ग्यारह महीने से सैलरी नही मिली है। बार-बार सैलरी देने की मांग किए जाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होने पर आक्रोशित जवान शुक्रवार को हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट से मिलने के साथ डीसी को भी अपनी समस्या से अवगत कराया।

वेतन नहीं मिलने से हाल बेहाल

एमजीएम हॉस्पिटल की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए मार्च 2013 में यहां होमगार्ड के 47 जवान तैनात किए गए थे। इन जवानों के आने से हॉस्पिटल की सुरक्षा व्यवस्था तो बेहतर हो गई, पर आज ये जवान खुद बदतर हालत में पहुंच गए हैं। पिछले ग्यारह महीनों से इन जवानों को सैलरी नही मिल रही है। सैलरी नहीं मिलने से इन जवानों के लिए अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है।

टूट रहा सब्र का बांध

ग्यारह महीनों से बिना सैलरी के ड्यूटी कर रहे जवानों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। शुक्रवार को बड़ी संख्या में होमगार्ड के जवान एमजीएम हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट डॉ आरवाई चौधरी के ऑफिस पहुंचे। सुपिरिटेंडेंट की बात सुनने के बाद जवान और आक्रोशित हो गए। होमगार्ड जवान राकेश ने बताया की सुपरिंटेंडेंट के सामने जब अपनी समस्या रखी तो उन्होंने बड़े अधिकारियों से मिलने के लिए चंदा कर रांची जाने की सलाह दे दी। नाराज जवानों ने सैलरी के संबंध में सोमवार तक कोई निर्णय नहीं होने पर ड्यूटी नहीं करने की भी चेतावनी दी है। सुपरिंटेंडेंट से मिलने के बाद अपनी मांगों को लेकर वे डीसी के पास भी गए।

रुल्स का रो रहे रोना

सरकारी नियम लोगों की मुश्किलें कम करने के लिए होने चाहिए न कि उनकी परेशानियों को बढ़ाने के लिए। होमगार्ड जवानों की सैलरी के मामले में नियमों की वजह से उनकी मुश्किल बढ़ गई हैं। हॉस्पिटल में तैनात प्राइवेट सिक्योरिटी गा‌र्ड्स को तो सैलरी मिल रही है, पर होमगार्ड जवानों को नही। इसकी वजह बताते हुए सुपरिंटेंडेंट डॉ आरवाई चौधरी ने कहा की नियम के अनुसार निविदा पर नियुक्त कर्मचारियों को भुगतान किया जा सकता है, पर होमगार्ड के जवान निविदा के आधार पर नियुक्ति नही हैं, इसलिए उन्हे सैलरी देने में तकनीकी दिक्कत आ रही है। इस समस्या को देखते हुए शुक्रवार को उन्होंने हेल्थ सेक्रेटरी को भी लेटर लिखा।

हर जगह लगाई गुहार

सैलरी पेमेंट करने को लेकर होमगार्ड के जवानों ने हर जगह गुहार लगाई, पर कहीं कोई सुनवाई नही हुई। होमगार्ड जवान अजय कुमार ने बताया कि इस संबंध में चीफ सेक्रेटरी, हेल्थ सेक्रेटरी और डीसी के साथ-साथ दो बार मुख्यमंत्री तक भी अपनी बात पहुंचा चुके हैं, पर अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

मुश्किल हो रहा है घर चलाना

सैलरी नहीं मिलने से इन जवानों के लिए घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है। होमगार्ड जवान राकेश ने बताया की उन्हे नौ हजार रुपए सैलरी मिलती है, इसी में पूरे परिवार का गुजारा चलता है। सैलरी नहीं मिलने पर कुछ दिनों तक तो उधार मांग कर काम चला, पर अब ना तो उधार मिल रहा है और न ही राशन। जवान पार्वती नाग ने बताया की उनकी दो बेटियां मैट्रिक और बीए की पढ़ाई कर रही हैं, पर सैलरी नहीं मिलने से पढ़ाई छुड़वाने की नौबत आ गई है। कुछ इसी तरह की समस्याओं से अन्य जवान भी जूझ रहे हैं।