-स्कूल वैन हड़ताल में साइकिल बना सहारा

-जिला प्रशासन हुआ सख्त

-स्कूल मैनेजमेंट के साथ डीएसई कार्यालय में बैठक मंगलवार को

JAMSHEDPUR: स्कूली वाहन चालकों व संचालकों की हड़ताल के कारण पैरेंट्स की परेशानी सोमवार को भी नजर आई। इस परेशानी का स्थायी समाधान ढूंढने के लिए जिला प्रशासन ने प्रयास तेज कर दिया है। सोमवार को डीसी डॉ अभिताभ कौशल की अध्यक्षता में जिला शिक्षा अधीक्षक, जिला परिवहन पदाधिकारी, अक्षेस के पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें जिला शिक्षा अधीक्षक इंद्र भूषण सिंह ने बताया कि सीबीएसई व सीआईएससीई के गाइडलाइन के अनुसार सभी प्राइवेट स्कूलों को अपना बस रखना अनिवार्य है। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट ऑफिसर की भी नियुक्ति होनी है। डीसी ने इस मामले में सभी प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपल्स के साथ बैठक करने का निर्देश दिया है। निर्देश पर अमल करते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक ने सभी प्राइवेट स्कूलों के प्रमुखों की बैठक शिक्षा विभाग के दफ्तर में मंगलवार की शाम को ब् बजे कराने का निर्णय लिया है। इसमें निजी स्कूलों में बस रख्रने के संबंध में विचार-विमर्श किया जायेगा। डीएसई ने कहा कि गाइडलाइन है तो सभी प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट को इस पर पहल करनी चाहिए। इस बैठक में जिला परिवहन पदाधिकारी व अक्षेस के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे।

साइकिल बना सहारा

पिछले चार दिनों से स्कूली वाहनों की हड़ताल के कारण अब छात्रों ने अपनी परेशानी खुद ही ढूंढ निकाली है। छात्रों ने इसके लिए पैरेंट्स को साइकिल खरीद कर देने का आग्रह किया। कई छात्रों को पैरेंट्स ने साइकिल भी खरीद दी है। अब स्टूडेंट हेलमेट पहन साइकिल चलाते हुए स्कूल पहुंच रहे हैं। तारापोर स्कूल एग्रिको में क्लास सात में पढ़ने वाले विद्यापति नगर के शुभम और भुईयांडीह के प्रीतेश सोमवार को अपनी नई साइकिल के साथ स्कूल पहुंचे थे। जब उनसे साइकिल में आने का कारण पूछा गया तो बताया कि अक्सर ऑटो वाले हड़ताल पर चले जाते हैं। नतीजा कुछ नहीं निकलता। बस फीस बढ़ जाती है। ऐसे में उनके पैरेंट्स पर बोझ बढ़ जाता है। इस परेशानी का स्थायी समाधान के लिए साइकिल खरीदना जरूरी था। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा और हमारा शरीर भी हेल्दी रहेगा। इस तरह से स्कूल आने के लिए इन बच्चों ने दूसरे स्टूडेंट्स को भी प्रेरणा दी है।

स्कूलों में बस रखने ने की मांग

जमशेदपुर अभिभावक संघ के सदस्यों ने प्राइवेट स्कूलों में बस रखने की मांग को लेकर डीसी ऑफिस में प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि स्कूलों के संबद्धता के नियम में जो बदलाव किये गये हैं, उसके अनुसार सीआईएससीई बोर्ड व सीबीएसई के स्कूलों का अपना व्हीकल होना जरूरी है। संघ के अध्यक्ष डॉ। उमेश ने कहा कि जमशेदपुर में मान्यता प्राप्त ख्म् स्कूलों में लगभग ब्0 हजार स्टूडेंट पढ़ते हैं। घर से स्कूल जाने के लिए ऑटो और वैनों पर निर्भर रहना पड़ता है। शहर में तीन स्कूलों के अलावा किसी भी स्कूलों के पास बस सेवा नहीं है। छात्रों की सुरक्षित घर पहुंचाने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ उमेश ने मांग की है कि अगर स्कूलों के पास उपलब्ध न हो तो उनकी मान्यता रद कर दी जाय।

बच्चों की वजह से स्कूल आना पड़ता है। सुरक्षित घर वापसी की चिंता बनी रहती है। हड़ताल से परेशानी बढ़ गई है। प्रशासन को इस जल्द निर्णय लेना चाहिए। ऑटो चालकों की मनमानी पर लगाम भी जरूरी है। ममता -रंजन, पैरेंट

-हमें तो स्कूल आना ही है, चाहे जैसे आएं। वाहनों की हड़ताल के कारण परेशानी तो है, पर इसका स्थायी समाधान होना चाहिए। अभी मम्मी-पापा आते हैं हमें ले जाने।

-आरुषि, स्टूडेंट

मम्मी-पापा को परेशानी होती है हमें स्कूल छोड़ने में। यह देखकर अच्छा नहीं लगता। लेकिन हम क्या करें। इसके अलावा कोई विकल्प भी तो नहीं है

-अभिलाषा, स्टूडेंट