ना हो communication gap
‘द ट्रेजडी ऑफ तृषा’ तीर्थंकर एक 16 साल की लडक़ी तृषा की कहानी है। तृषा को काफी कम उम्र में पता चलता है की उसके पैरेंट्स ने उसे एडॉप्ट किया है। उसके मन में ये बात घर कर जाती है की पैरेंट्स उसे अपनी बेटी की तरह प्यार नहीं करते। इस सोच के साथ अपने स्कूल डेज में वो कई ऐसे रास्ते चुनती है, जो उसके लिए सही नहीं है। कई ठोकरें खाने के बाद फाइनली वो रियलाइज करती है कि वो गलत थी। पैरेंट्स ही बच्चों के सही गाइड होते है। इस एज ग्र्रुप के लडक़े-लड़कियों के साथ-साथ मूवी में पैरेंट्स के लिए भी एक मैसेज है। पैरेंट्स और बच्चों के बीच कभी कम्यूनिकेशन गैप नहीं आना चाहिए। साथ ही बच्चों को ये फील भी कराना चाहिए कि वो उसकी केयर करते हैं। मूवी के डाइरेक्टर लोयोला स्कूल के स्टूडेंट रह चुके हर्ष वैभव हैं। एक्टर और फिल्म से जुड़े दूसरे लोग भी सिटी के डिफरेंट स्कूल्स के स्टूडेंट्स हैं।

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