छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : जिस देश में सदियों से नारी को देवी की तरह पूजने की परंपरा रही है, वहां महिलाएं असुरक्षित हैं। महिलाओं के लिए असुरक्षा का यह माहौल सिर्फ सड़क तक ही सीमित नही, मां के गर्भ में भी लड़कियां सुरक्षित नही। तमाम नियम-कानूनों के फीमेल फेटिसाइड पर लगाम नही लग पाया है। पुलिस थानों में भी उन्हे अपने जैसा कोई नही मिलता, जिससे बिना संकोच अपनी परेशानी बता सके।

दुनिया में आ ही नही पाती कई बेटियां

2001 में ईस्ट सिंहभूम का चाइल्ड सेक्स रेशियो 941 था, 10 साल बाद 2011 में ये रेशियो घटकर 922 हो गया। ये आंकड़े वीमेन सेफ्टी से जुड़े सभी सवालों का जवाब देते हैं। बेटियों के प्रति समाज की क्यो सोच है और बेटियों को बचाने वाले नियम-कानून का क्या हाल है, इन आंकड़ों से यह साफ पता चलता है। फीमेल फेटिसाइड को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। नियमों का उल्लंघन कर चलाए जा रहे अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर नकेल कसने के लिए आदेश जारी होते है। पर इन आदेशों का कोई खास असर होता नही दिखता है। डिस्ट्रीक्ट हेल्थ डिपार्टमेंट के तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक यह सुनिश्चित नही किया जा सका है पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स मंथली रिपोर्ट तक सौंपे।

कहां करे कम्प्लेन

शहर में महिलाओं के साथ होने वाले ईव-टीजिंग, अन-वांटेंड कॉल्स, एसएमएस या इमेल्स के जरिए परेशान करने जैसी घटनाओं में हुई बढ़ोत्तरी को देखते हुए पुलिस ने एंटी-ईव टीजिंग सेल बनाई है। इस सेल में पिछले साल सिर्फ 140 मामले दर्ज किए गए थे, वही इस साल अबतक 40 मामले आ चुके हैं। ये आंकड़े कम लगते हैं पर शायद सच्चाई ये नही। महिलाओं के साथ ईव-टीजिंग या अन्य तरीकों से परेशान करने की घटनाएं आए दिन होती हैं पर इनमे से ज्यादातर मामले रिपोर्ट नही किए जाते है।

महिला पुलिसकर्मी की कमी भी एक वजह

ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में महिला पुलिस का स्ट्रेंथ (2013 तक) 1952 है, वही नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार यहां महिला पुलिस की संख्या 2103 है। राज्य में करीब एक करोड़ 70 लाख से ज्यादा आबादी महिलाओं की है। ऐसे में पुलिस फोर्स में महिलाओं की भागीदारी काफी कम है। स्टेट के सभी जिलों में कुछ महिला पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं, पर महिलाओं की आबादी देखते हुए ये नाकाफी हैं। ऐसे में अगर पुलिस थानों में पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस हो तो महिलाएं बिना संकोच अपनी शिकायतों को लेकर वहां जा सकती हैं।

डीजीपी से सीधी बातचीत

सवाल- महिला सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस डिपार्टमेंट द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

डीजीपी- वीमेन सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए कई नए कदम उठाए जा रहे हैं। जल्द ही झारखंड में भी हिम्मत एप्प को लॉंच किया जाएगा। स्कूलों के लिए लाइजनिंग ऑफिसर नियुक्त किए जाएंगे। ये लाइजनिंग ऑफिसर स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों की समस्या को सुनेंगे और को-ऑर्डिनेशन का काम करेंगे।

सवाल- किसी तरह की समस्या होने पर कई बार शिकायत के लिए महिलाएं पुलिस थाने जाने में संकोच करती हैं। पुलिस फोर्स में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए डिपार्टमेंट की क्या प्लानिंग है?

डीजीपी- स्टेट में पुलिस फोर्स में महिलाओं के 33 परसेंट पोस्ट रिज‌र्व्ड है। इन सभी पोस्ट्स को भरने के लिए वेंकेसीज जारी की जाएगी। फिलहाल सभी जिलों में महिला पुलिस थाने बनाए गए हैं जहां महिलाएं अपनी शिकायतों को लेकर बिना संकोच जा सकती है।

सवाल- स्टेट में फीमेल फेटिसाइड एक बड़ा मुद्दा है। अल्ट्रासाउंड सेंटर्स द्वारा नियमों के उल्लंघन के मामले सामने आते हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए पुलिस डिपार्टमेंट क्या कारवाई करेगी?

जवाब- अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का नियम के अनुसार संचालन हो ये सुनिश्चित करना हेल्थ डिपार्टमेंट का काम है। हालांकि कही कोई गड़बड़ी पाई गई पुलिस डिपार्टमेंट द्वारा जरुर कदम उठाया जाएगा।