रांची(ब्यूरो)। पुल-पुलिया, ओवर ब्रिज या फ्लाईओवर किसी भी शहर की लाइफलाइन होते हैं। यह दो स्थानों को आपस मेें कनेक्ट करने का मुख्य जरिया है। हजारों लोग पुल से होकर गुजरते हैं। सड़क की तरह पुल-पुलिया का भी दुरुस्त होना काफी मायने रखता है। छोटी सी लापरवाही भी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकती है। राजधानी रांची में वैसे तो कई पुल-पुलिया हैं। राजधानी बनने के बाद कुछ फ्लाईओवर का भी निर्माण किया गया है। कुछ का निर्माण अब भी जारी है। डीजे आईनेक्स्ट ने सिटी के कुछ पुलों का रियलिटी चेक किया है, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
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मेन रोड ओवरब्रिज
राजधानी रांची स्थित मेन रोड पर बना ओवरब्रिज वर्षों पुराना है। कई स्थानों से यह जर्जर होने लगा है। राजधानी बनने से पहले से ही इस ओवर ब्रिज का वजूद है। आज यह कई स्थानों से जर्जर होने लगा है। पुल के निचले हिस्से में कई जगह दरारें आ गई हैं। लेकिन इसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है। इस ब्रिज को रांची की लाइफलाइन माना जाता है। अल्बर्ट एक्का चौक से राजेंद्र चौक को कनेक्ट करने के लिए यह एक मात्र ऑप्शन है। इस ब्रिज से होकर हर दिन हजारों गाडिय़ां गुजरती हैं। पूरे दिन लोगों का आना-जाना लगा रहता है। शहर के सबसे पुराने ब्रिज में से एक है रांची के मेन रोड पर बना ओवरब्रिज। लेकिन फिर भी इसकी रिपेयरिंग पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ब्रिज की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। ऊपर से देखने से ब्रिज चकाचक नजर आता है। लेकिन इसकी निचली सतह पर कई जगह से सीमेंट उखडऩे लगा है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो कभी भी हादसा हो सकता है।
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कडरू पुल
कडरू से डोरंडा और डोरंडा से अशोक नगर को जोडऩे के लिए कडरू ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया है। 2003 में इस ब्रिज का काम शुरू हुआ था। 5 साल बाद यह ब्रिज बनकर तैयार हुआ। कुछ ही समय में लोगों के आवागमन के लिए यह प्रमुख ब्रिज बन गया। लेकिन इस पुल की हालत भी दिनोंदिन खराब होती जा रही है। ब्रिज की बुनियाद के अलावा सपोर्ट कमजोर पड़ रहे हैं। यहां कई जगहों पर दरारें भी आ गई हैं। इतना ही नहीं, कई जगहों से सीमेंट की दीवारें गिरने लगी हैं। दरारों को प्लास्टर ऑफ पेरिस से ढक दिया गया है। लेकिन पुल के सपोर्ट के लिए खड़ी की दीवार कई स्थानों से दरकने लगी हैं। पार्षद विजय लक्ष्मी सोनी का कहना है पुल की रिपेयरिंग के लिए कई बार पत्र लिखा गया है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वहीं लोगों की सुविधा के लिए पास में ही लोहे की सीढिय़ां भी बनायी गयी थीं, लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने के कारण ये बर्बाद हो गईं।
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चुटिया पुल
चुटिया से नामकुम को जोडऩे वाले वाली स्वर्णरेखा नदी पर बने पुल की हालत भी जर्जर हो चुकी है। पुल के ऊपर कई गड्ढे हो गए हैं। इससे लोगों को आने-जाने में कठिनाई होती है। इस संकरे पुल से रोजाना सैकड़ों वाहन गुजरते हैं। पुल की हालत देखने से यह काफी डरावना लगता है। लोग भी यहां से गुजरते वक्त भयभीत हो जाते हैं। यह पुल काफी साल पुराना है। इसके पिलर पत्थर की दीवारों पर टिके हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, बारिश के मौसम में नदी का पानी भी पुल तक आ जाता है। आसपास के लोगों ने बताया कि बारिश में कई बार पानी का बहाव इतना ज्यादा होता है कि लगता है पुल भी बह जाएगा। यदि समय रहते यहां ध्यान नहीं दिया गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

पुल-पुलियों की रिपेयरिंग का विचार हो रहा है। जिस इलाके में ज्यादा परेशानी है। वहां का एस्टिमेट तैयार कराया जाएगा।
-आरबी शर्मा, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, आरसीडी डिपार्टमेंट

फ्लाई ओवर में यदि कहीं खराबी आ रही है तो उसे दिखवा कर ठीक कराया जाएगा। इंजीनियर की मदद से रिपोर्ट तैयार करवाकर दुरुस्त करने का काम किया जाएगा।
-शशि रंजन, नगर आयुक्त, आरएमसी