रांची(ब्यूरो)। नेचुरल रिसोर्सेज का दोहन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन को दोषियों पर कार्रवाई करनी ही होगी। आखिर चंद लोगों के स्वार्थ के कारण पूरी रांची खामियाजा क्यों भुगतेगी। यह कहना है कि सिटी के विभिन्न सेक्टर के सजग लोगों का। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से नेचुरल रिसोर्सेज से कब्जा हटाओ ड्राइव के अंतिम दिन वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें सिटी के विभिन्न सेक्टर के जागरूक लोगों ने नेचुरल रिसोर्सेज के एनक्रोचमेंट को लेकर गहरी नाराजगी जताई। साथ ही प्रशासन को भी इसके लिए जिम्मेदार बताते हुए एक्शन लेने की बातें कहीं। पेश है सिटी के अलग-अलग सेक्टर के लोगों की राय:
मौसम पर असर
प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का नतीजा है कि आज मौसम में बेरुखापन आ गया है। पारा 40 डिग्री से भी पार पहुंच रहा है। जबकि कुछ साल पहले 37 डिग्री पारा को बहुत अधिक माना जाता है। 37-38 पहुंचते ही शाम को बारिश हो जाती थी, जिससे मौसम सुहाना हो जाता था। लेकिन अब शाम के वक्त भी गर्मी का ही अहसास होता है। नदियां अब बची ही नहीं, तालाबों की स्थिति पहले से बहुत ज्यादा खराब है। जलस्रोत खत्म होने के कारण ही आज पीने के पानी के लिए भी जूझना पड़ रहा है।
-खालिद उमर, सोशल वर्कर

पहाड़-पर्वत से खूबसूरती
पहाड़-पर्वत, नदियां, पेड़-पौधे सभी मौसम को अनुकूल रखने के साथ-साथ शहर की खूबसूरती भी बढ़ाते हैं। बड़े-बड़े चट्टान और उनमें से बहता पानी घूमने के लिए खूबसूरत डेस्टिनेशन भी है। लोग पहाड़ों और नदियों की खूबसूरती देखने दूर-दूर तक चले जाते हैं। लेकिन जो अपने ही शहर में खूबसूरत नजारा है उसे बर्बाद करते जा रहे हैं। हम सभी का दायित्व है कि प्रकृति खूबसूरती को संजो कर रखे। इसे बेजार बनाने वालों के प्रति आवाज उठाएं।
- रौशन कुमार

मौसम पर असर
प्रकृति ने झारखंड को दोनों हाथों से सवांरा है। रांची में भी कई खूबसूरत नजारे हैं। अद्भुत वाटर फॉल से लेकर पहाड़, पर्वत, जंगल, नदी एवं और भी बहुत कुछ हैं। सब कुछ उपयोगी है। पहाड़-पर्वत धरती का बैलेंस बनाए रखने में काफी कारगर है। वहीं पेड़-पौधों से मौसम पर अच्छा असर पड़ता है। कुछ लोग अवैध तरीके से पहाड़ काट कर वहां घर बना कर रह रहे हैं तो वहीं कई ऐसे भी लोग हैं जो अवैध कमाई के लिए पूरा का पूरा पहाड़ ही बचे दे रहे हैं। बरियातू पहाड़, टैगोर हिल, हरमू नदी, स्वर्णरेखा नदी आदि सब पर अवैध कब्जा होता जा रहा है, जिसे रोकना बहुत जरूरी हो गया है।
-तौसीफ खान, फाइनांस सेक्टर

दो दशक से दोहन
झारखंड को अलग हुए 21 साल बीत गए। जब से यह अलग राज्य बना है और रांची राजधानी बनी है, तब से इसका दोहन किया जा रहा है। आबादी में भी बेतहासा वृद्धि हुई है। जिस वजह से अब लोग पहाड़ों और नदियों के आस-पास भी बसने लगे हैं। प्रशासन सब कुछ देख कर भी मौन रहता है। जब कोर्ट सख्ती बरतता है तब ये लोग थोड़ा एक्टिव होते हैं, थोडी बहुत कार्रवाई होती है। कांके डैम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां लगातार एनक्रोचमेंट बढ़ता जा रहा है। कभी-कभार कुछ कार्रवाई हो जाती है। कार्रवाई रुकते ही फिर से आशियाने खड़े हो जाते हैं। इस पर लगातार मॉनिटरिंग की जरूरत है।
-मनोज अग्रवाल, पॉलिटिकल

प्रशासन ले एक्शन
इस गंभीर मुद्दे पर सिटी के नागरिक तो सजग हैं लेकिन जिनके जिम्मे इसे रोकने की जिम्मेवारी है वे ही उदासीन बने बैठे हैं। नगर निगम, अंचल कार्यालय से लेकर एसडीओ और डीसी सभी इसके लिए जिम्मेवार हैं। चिरौंदी में खुलेआम चट्टान काटे जा रहे हैं। टैगोर हिल के आसपास बड़े-बड़े अपार्टमेंट खड़े हो गए। बरियातू पहाड़ भी देखते-देखते खत्म होता जा रहा है। प्रशासन की जिम्मेवारी है कि वो इस तरह के अवैध कामों पर रोक लगाए और गैरकानूनी काम करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करे।
-चंदन प्रजापति, बिजनेसमैन

नेचुरल रिर्सोसेज का दोहन खतरे का संकेत
नदी, पहाड़-पर्वत सिर्फ शोभा ही नहीं बढ़ाते, बल्कि मौसम को भी आपके अनुकुल रखने में सहायक होते हैं। पहाड़ों में बैलेंसिंग एटीट्यूड होता है, जो धरती को बैलेंस करता है। वहीं, नदी, तालाब समेत कोई भी जलाशय ग्राउंड वाटर को रिचार्ज करता है, जिससे पानी की समस्या नहीं होती है।
नितिश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद्

आप कंप्लेन करें, एक्शन लेगा प्रशासन
रांची में जितने नेचुरल रिसोर्सेज हैं, उन्हें पूरी तरह कब्जे से मुक्त रखा जाएगा। पहाडिय़ों पर अतिक्रमण के बारे में अभी जिला प्रशासन की ओर से सर्वे कराया जा रहा है। बहुत जल्द सभी पहाडिय़ों को अवैध कब्जे से मुक्त करा दिया जाएगा। जहां तक बात है अवैध खनन की तो प्रशासन के संज्ञान में जब भी यह बात आएगी कि कहीं भी अवैध खनन हो रहा है, वहां तत्काल कार्रवाई की जाएगी। लोगों से अपील है कि ऐसी किसी भी कब्जे के बारे में या अवैध खनन के बारे में प्रशासन को जानकारी दें, उनकी पहचान गोपनीय रखते हुए कार्रवाई की जाएगी।
-छवि रंजन, डीसी, रांची