रांची(ब्यूरो)। ब्रिटिश सेना में ईसाई और मुस्लिम की बहुलता थी। डोरंडा में ब्रिटिश छावनी थी। ईसाई सैनिकों ने अपनी उपासना के लिए एक जगह तलाशी जो आगे चल कर ऑल सेंट्स चर्च बना। 1877 में फादर फर्डिनेंड डी कॉक एक मिट्टी के घर में रहने लगे। इसी जगह ऑल सेंट्स चर्च की बुनियाद पड़ी। इसलिए चर्च का स्थापना वर्ष 1877 माना गया।

सैनिकों ने उठाया था खर्च

राजनीतिक उथल-पुथल के कारण सेना की बटालियन को डोरंडा छोड़कर रामगढ़ जाना पड़ा। फादर डी म्युल्डर ने इटालियंस वाले रामगढ़ कैंट से संपर्क किया। उन्होंने डोरंडा में चर्च के निर्माण के लिए धन जमा किया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद उन्होंने फादर को नक्शा सौंप दिया डी म्यूल्डर ने कहा था, 'यह याद रखना चाहिए कि चर्च का निर्माण उन इतालवी सैनिकों की इच्छा के अनुसार किया गया था जो यहां दफनाए गए अपने साथियों से प्यार करते थे। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से नींव खोदी थी और जब उन्हें वापस जाना पड़ा, तो निर्माण का पूरा खर्च उठायाÓ।

ओवरब्रिज से नजर आती है मीनार

चर्च के मुख्य द्वार पर 'सक्रेरियो मिलिट्री इतलिअनोÓ लिखा है जो यह दर्शाता है कि इस चर्च का नक्शा एक इटालियन वास्तुकार द्वारा बनाया गया था। ऑल सेंट्स चर्च एक कैथोलिक चर्च है। ओवरब्रिज से ही गिरजाघर की ऊंची मीनार दिखाई पड़ती है। जिसके ऊपर क्रूस बना हुआ है। पूरे गिरजाघर की दीवारें पत्थरों से बनी हुई है। चर्च के अंदर बड़ी-बड़ी कांच की बनी रंगीन खिड़कियां हैं। जिसमें सुंदर पेंटिंग की गई है। चर्च परिसर में एक ग्रोटो बना है, 11 फरवरी 1959 को ग्रोटो को आशीर्वाद दिया गया। चर्च में प्रार्थना करने के बाद माता मरियम से मसीही आशीर्वाद लेते हैं। इस चर्च के बड़े हॉल में लगभग 1000 मसीही एक-साथ प्रार्थना कर सकते हैं। इस चर्च के निर्माण में सैनिकों का काफी सहयोग रहा था।

2013 में मना गोल्डन जुबली

डोरंडा पल्ली की शुरुआत 1940-45 के आसपास हुई थी। फादर हेनरी ने 10 अगस्त 1952 से मई 1963 तक डोरंडा के प्रस्तावित पल्ली के इंचार्ज के रुप में अपनी सेवा दी। इस गिरजा घर की विधिवत स्थापना वर्ष 1963 में की स्थापना की थी। चर्च के पहले फादर जॉर्ज विजसेन एमजे थे, जो 1963 से 1977 तक रहे। लोरेटो नन का इस चर्च में योगदान रहा। 2013 में इस चर्च का गोल्डन जुबली मनाया गया था।

शिक्षा को आम लोगों तक पहुंचाने में ऑल सेंट्स चर्च का अहम योगदान है। गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करने हेतु चर्च से जुड़े संस्थानों द्वारा संचालित निर्मला कॉलेज, संत जेवियर्स स्कूल डोरंडा, लॉरेटो स्कूल, जेएमजे स्कूल, शांतिरानी स्कूल, फादर अगनेल स्कूल, संत एंथोनी स्कूल तथा संत कुलदीप मिडिल स्कूल शामिल हैं।

डॉ मोहम्मद जाकिर, शिक्षाविद एवं इतिहासकार