रांची (ब्यूरो)। सिटी के जिस इलाके से फास्ट फूड और चाय-कॉफी की दुकानें बंद कराई गई हैैं, वह नो वेंडिंग जोन भी घोषित नहीं है। यहां पिछले पांच वर्षों से करीब 50 दुकानें लगती आ रही हैैं। सभी दुकानें अस्थायी और चलंत हैैं। अधिकतर दुकानदार शाम को अपनी दुकान लेकर आते हैैं और देर रात भीड़ खत्म होने के बाद दुकानें बंद कर देते हैैं। यहां एक भी स्थायी दुकान नहीं हैैं और न ही किसी के पास लाइसेंस ही है। इस वजह से प्रशासन की नजरों में ये सभी दुकानें अवैध हैैं।

इसी हफ्ते चली थी गोली

न्यूक्लियस मॉल के पास 20 मार्च को गोलीबारी की एक घटना घटी थी। आपसी विवाद में गुड्डू नामक एक युवक को गोली मारी गई थी। शाम के समय हुई इस वारदात के बाद पुलिस ने खदेड़कर अपराधी को पकड़ लिया था। इसके बाद वहां की दुकानें स्वत: बंद हो गई थीं। दूसरे दिन तो कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन बाद में पुलिस-प्रशासन ने वहां के दुकानदारों को दुकान लगाने से मना कर दिया था। पिछले तीन दिनों से वहां दुकानें नहीं लग रही हैैं। दुकानदारों का कहना है कि यहां चाय-नाश्ते के लिए आने वाले युवक अपराधी नहीं होते। इक्का-दुक्का घटनाओं को लेकर पूरे एरिया को ही वीरान कर देना कहीं से भी उचित नहीं है।

कहीं पार्किंग तो वजह नहीं

जेल मोड़ के पास ही पुलिस पिकेट भी है। यहां हमेशा पुलिसकर्मी तैनात रहते हैैं। मुहाने पर ही बाइक लगाने के लिए जगह बनाई गई है, जहां ठेकेदार को बंदोबस्ती दी गई है। दूसरी ओर, पार्क गेट के पास पूरे इलाके में दुकानों के कारण बड़ी गाडिय़ां खड़ी नहीं हो सकती हैैं। इसे लेकर पार्किंग का ठेका लेने वालों को परेशानी हो रही थी। आए दिन वहां इसे लेकर विवाद भी होता रहता था। यहां दुकान लगाने वाले युवक विवेक ने बताया कि गोली चालन की घटना का बहाना बनाकर पुलिस-प्रशासन पार्किंग के लिए स्थान बनाना चाहता है। यही वजह है कि वहां से दुकानें हटाई जा रही हैैं।

रोजी-रोटी का संकट

दुकानें बंद होने के बाद ईस्ट जेल रोड के दुकानदारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। यहां के अधिकतर वेंडर्स अपनी दुकान से होने वाली कमाई के जरिए ही अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैैं। अब करीब 50 लोगों का परिवार आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। उनकी मांग है कि उन्हें या तो आसपास में ही कहीं और जगह दी जाए या फिर सुरक्षा के इंतजाम के साथ ही वहीं पर तय समय के अनुसार दुकानें लगाने की इजाजत दी जाए।