--1950 के दशक में आरएसएस के प्रचारक के रूप में झारखंड में भी किया था काम

--आदिवासी समाज में शिक्षा और रोजगार पर था विशेष ध्यान

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ashwini.nigam@inext.co.in

RANCHI (18 Nov): विश्व हिंदू परिषद के सबसे बड़े नेता रहे अशोक सिंघल का झारखंड से भी गहरा जुड़ाव था। अशोक सिंघल जब क्9भ्0 के दशक में आरएसएस के प्रचारक के तौर पर गोरखपुर जिले में काम करते थे, उस दौरान उनका उस समय के बिहार का अंग रहे झारखंड में आना-जाना लगा रहा था। खासकर झारखंड के आदिवासी बाहुल्य जिलों में आदिवासियों के बीच हो रहे धर्मातरण और आदिवासी समाज में शिक्षा और रोजगार की कमी से वे चिंतित रहते थे। ऐसे में जब विश्व हिंदू परिषद का गठन हुआ और अशोक सिंघल को इसका सर्वेसर्वा बनाया गया तो उन्होंने झारखंड के आदिवासियों के बीच काम करने के लिए विहिप के कई कार्यकर्ताओं को तैनात किया।

एकल विद्यालय की स्थापना

आदिवासियों के बीच शिक्षा की अलख जगाने के लिए एकल विद्यालय की स्थापना में भी उन्होंने अपनी बड़ी जिम्मेदारी निभाई। झारखंड के रांची, धनबाद, जमशेदपुर और चाईबासा के कई बड़े बिजनेस घरानों के लोगों को उन्होंने झारखंड के आदिवासी समाज की दशा सुधारने के लिए आर्थिक मदद के लिए एक मंच पर लाया। इसके नतीजे में झारखंड के सुदूर गांवों में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता काम करना शुरू किया। इसी का नतीजा रहा कि जब ख्007 में अर्धकुंभ के अवसर पर प्रयाग में आयोजित तीसरे विश्व हिंदू सम्मेलन में झारखंड के आदिवासी गांवों से हजारों लोगों ने शिरकत की थी। झारखंड में वेद पाठशाला और कथावाचक तैयार करने की भी योजना अशोक सिंघल की थी, जिसपर विहिप ने काम करना भी शुरू कर दिया है।

दी गई मुखाग्नि

मालूम हो कि विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल का बुधवार को नई दिल्ली के निगम बोघ घाट पर उनके भतीजे सलिल सिंघल ने मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़ी संख्या में विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता उपस्थित हुए। अशोक सिंघल का मंगलवार को गुंड़गांव स्थित मेदांता हॉस्पिटल में निधन हो गया था। अशोक सिंघल की अस्थियों को देश के भ्0 जगहों पर ले जाया जाएगा, जिसमें झारखंड भी शामिल है।