रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची के गली-गली में वैद्य-हकीम की दुकानें चल रही हैं। कोरोना के बाद बहुत सारे लोगों ने आयुर्वेद पद्धति पर विश्वास करना शुरू कर दिया है, आयुर्वेद पद्धति से लोग इलाज भी करा रहे हैं, लोगों को लाभ भी मिल रहा है। लेकिन आयुष विभाग द्वारा सतर्कता बरतने के लिए तैयारी करते हुए आयुर्वेदिक दवाओं की क्वालिटी की जांच करने के लिए रांची में ही लैब बनाया जा रहा है। इसका मकसद है कि अगर लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं से लेकर कोई शिकायत है तो उसका सैंपल लैब में देंगे और वहां जांच कर बताया जाएगा कि इस दवा की क्वालिटी कैसी है।

पौने चार करोड़ में बनेगा लैब

राज्य बनने के 21 साल बाद आयुष दवाओं के जांच के लिए लैबोरेट्री बनाने की तैयारी है। राज्य सरकार ने आरसीएच परिसर नामकुम में आयुष ड्रग टेस्टिंग लैबोरेट्री बनाने का निर्णय लिया है। लैब का निर्माण झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम द्वारा किया जाएगा। लैब भवन निर्माण पर करीब तीन करोड़ 66 लाख रुपए खर्च आएंगे। हालांकि, आयुष निदेशालय को पिछले साल ही लैब बनाने के लिए सरकार से पैसा मिला था, लेकिन सही समय पर जगह नहीं मिला और भवन का निर्माण नहीं हो पाया। ऐसे में राशि वापस हो गई। अब इस साल फिर से बजट मिला है और विभाग भी रेस है कि हर हाल में इस साल लैब की स्थापना कर दी जाएगी।

क्वालिटी की जांच जरूरी

आयुष विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में बिकने वाली या सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली आयुष दवाओं की क्वालिटी जांच राज्य में ही हो सके। राज्य में दवाओं का करोड़ों रुपए का कारोबार होता है, लेकिन आयुष ड्रग टेस्टिंग लैब नहीं होने के कारण सब स्टैंडर्ड दवाओं के बाजार पर भी अभी नकेल नहीं कसा जा रहा है। लेकिन लैब बन जाने के बाद सबस्टैंडर्ड दवाओं के बाजार पर भी रोक लगाने में आसानी होगी। हालांकि बहुत सारे वैद्य-हकीम आयुर्वेद पद्धति से इलाज करने के दौरान लोगों को यह भी बताते हैं कि इस दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, इस कारण लोगों की बीमारी अगर ठीक नहीं भी होती है तो उनको इसका कोई साइड इफेक्ट पता नहीं चलता है। इस कारण दवाओं की जांच को लेकर लोग भी अवेयर नहीं होते।

अभी बाहर से होती है टेस्टिंग

फिलहाल आयुर्वेदिक दवाओं की भी गुणवत्ता की जांच करने के लिए सैंपल कोलकाता, बेंगलुरु और अहमदाबाद के लैब में भेजा जाता है। राज्य सरकार ने आयुर्वेदिक दवाओं के सैंपल लेने और जांच के लिए लेबोरेट्री भेजने के लिए ड्रग इंस्पेक्टरों को अधिकृत किया है। राज्य के बाहर दूसरे शहरों में जांच के लिए सैंपल भेजने के बाद अभी तक बहुत कम दवाओं में मिलावट की शिकायत आई है, या विभाग द्वारा इसको सही तरीके से जांच रिपोर्ट को भी जारी नहीं किया जा रहा है। अब जब रांची में ही इसकी जांच होगी तो पता चलेगा कि शहर में आयुर्वेदिक दवाओं में मिलावट हो रही है कि नहीं।